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Shani Sade Sati: शनि की साढ़ेसाती के होते हैं तीन चरण, जानें शनि दोष, साढ़े साती और ढैय्या से बचने का उपाय…

Shani Sade Sati: शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है. वे जातक को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. अगर शनि कुंडली में अशुभ स्थिति में विराजमान हैं तो व्यक्ति को तमाम दुखों का सामना करना पड़ता है. वहीं, अगर शुभ हैं तो जीवन में सुखों की कोई कमी नहीं रहती है. शनि मकर राशि में विराजमान हैं. शनि 23 मई से इसी राशि में वक्री अवस्था में चल रहे हैं.

Shani Sade Sati: शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है. वे जातक को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. अगर शनि कुंडली में अशुभ स्थिति में विराजमान हैं तो व्यक्ति को तमाम दुखों का सामना करना पड़ता है. वहीं, अगर शुभ हैं तो जीवन में सुखों की कोई कमी नहीं रहती है. शनि मकर राशि में विराजमान हैं. शनि 23 मई से इसी राशि में वक्री अवस्था में चल रहे हैं. ज्योतिष के अनुसार शनि की वक्री चाल का सबसे अधिक प्रभाव शनि साढ़े साती (Shani Sade Sati) और शनि ढैय्या (Shani Dhaiya) से पीड़ित जातकों पर पड़ता है. शनिदेव 11 अक्टूबर तक वक्री स्थिति में रहेंगे. आइए जानते किन राशि वालों को सतर्कता बरतनी होगी…

इन पर है शनि ढैय्या

मिथुन राशि के जातकों को क्रोध से बचना चाहिए, नहीं तो हानि उठानी पड़ सकती है. वहीं, परिवार वालों से मतभेद होने के आसार रहेंगे. खासतौर से पिता के साथ संबंध कुछ बिगड़ सकते हैं. वाणी पर बहुत ही संयम बरतना होगा. वहीं, तुला राशि वालों को आर्थिक मामलों को लेकर कड़ी मेहनत करने की जरूरत पड़ेगी. फिजूल के खर्चों से बचें नहीं तो आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है. मानसिक तनाव बढ़ेगा.

इन पर है शनि साढ़े साती

धनु राशि वालों पर शनि साढ़े साती का आखिरी चरण चल रहा है. शनि के वक्री होने से आपको आर्थिक जीवन में परेशानी बढ़ेगी. आप मानसिक तनाव से लेकर लव लाइफ में भी समस्याएं उत्पन्न होगी. वहीं, मकर राशि वालों की बात करें तो आप पर शनि साढ़े साती का दूसरा चरण चल रहा है. आपको 11 अक्टूबर तक बेहद ही सतर्क रहना होगा. शनि आपकी ही राशि में वक्री चल रहे हैं.

धैर्य से काम लेने पर ही बात बनेगी. इसलिए छोटे मोटे रोग को नजर अंदाज न करें. वहीं, कुंभ राशि वाले जातकों पर शनि साढ़े साती का पहला चरण चल रहा है. शनि की वक्री चाल का आपके ऊपर भी प्रभाव पड़ रहा है. इसलिए आपको अक्टूबर तक मेहनत का फल कुछ कम मिल सकता है. इस दौरान परिश्रम करते रहें और धैर्य बनाए रखें.

शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय

शनि की पूजा करें. जिन व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती है, उन लोगों को शनिदेव के साथ हनुमान जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इस दौरान शिवलिंग की पूजा करने से भी शनि दोष से मुक्ति मिलती है. शनिवार के दिन शनि मंदिर जरूर जाना चाहिए. इसके साथ ही शनि मंदिर में शनिदेव पर सरसों का तेल चढ़ाएं. इसके बाद पीपल के पेड़ पर शाम के समय दीपक जलाएं.

पीपल पर जल चढ़ाने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही शनिवार और अमावस्या के दिन तेल का दान करने से शनिदेव के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलने की मान्यता है. मान्यता है कि शनिवार के जिन लोहे के बर्तन, काला कपड़ा, सरसों तेल, काली दाल, काले चने और काले तिल दान करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं.

वक्री शनि के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

  • शनि की महादशा से पीड़ित जातक नशे से दूर रहें.

  • इस दौरान दूसरों को परेशान न करें.

  • आज किसी का अपमान न करें.

  • बुजुर्गों की सेवा और सम्मान करें.

  • जरूरतमंदों की सहायता करें.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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