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मौत के बाद भी परेशानी से नहीं मिल रही मुक्ति, श्मशान घाट पर मनमाना वसूली के कारण शव लेकर लौटे परिजन

शवदाह के लिए घाट राजा द्वारा मोटी रकम वसूलने के लिए बदनाम भागलपुर के बरारी श्मशान घाट से एक बार फिर शवदाह के लिए लाया गया शव लौट गया. टेंपो पर लाद कर शव लेकर परिजन घाट पहुंच तो गये, पर उनकी गरीबी उन्हें शवदाह करने नहीं दी. घाट राजा ने इतना धन मांग लिया कि परिजनों के सामर्थ्य की बात नहीं थी. आखिरकार वे लौट गये और भागलपुर नगर निगम प्रशासन के उस दावे की हवा निकल गयी, जिसमें यह कहा गया था कि श्मशान घाट पर शवदाह में कोई परेशानी नहीं है.

शवदाह के लिए घाट राजा द्वारा मोटी रकम वसूलने के लिए बदनाम भागलपुर के बरारी श्मशान घाट से एक बार फिर शवदाह के लिए लाया गया शव लौट गया. टेंपो पर लाद कर शव लेकर परिजन घाट पहुंच तो गये, पर उनकी गरीबी उन्हें शवदाह करने नहीं दी. घाट राजा ने इतना धन मांग लिया कि परिजनों के सामर्थ्य की बात नहीं थी. आखिरकार वे लौट गये और भागलपुर नगर निगम प्रशासन के उस दावे की हवा निकल गयी, जिसमें यह कहा गया था कि श्मशान घाट पर शवदाह में कोई परेशानी नहीं है.इसके लिए पूरी टीम वहां कार्यरत है.

यही नहीं नगर निगम आज तक श्मशान घाट पर शवदाह का शुल्क निर्धारित नहीं किया है, जिसका खामियाजा आम लोगों को उस समय भुगतना पड़ता है, जब वे सबसे अधिक दुख के पल से गुजर रहे होते हैं. दरअसल शनिवार को हो रही बारिश के बीच एक शव बरारी श्मशान घाट पहुंचा. ऑटो पर शव लदा हुआ था और ऑटो सड़क पर ही खड़ा रखा गया था. साथ आये लोग घाट राजा से शवदाह की बात करने गये.

परिजन के मुताबिक घाट राजा ने 11 हजार रुपये की डिमांड की. उनका कहना था कि वे लोग मजदूरी कर गुजर-बसर करते हैं. इतने पैसे कहां से लायेंगे. यह बात घाट राजा से कही, पर वे एक भी सुनने को तैयार नहीं हुए. इस बात पर अड़े रहे कि जब तक 11 हजार रुपये जमा नहीं किया जायेगा, शवदाह नहीं हो सकेगा. आखिरकार वे लोग अपने घर कहलगांव के लिए यह कहते हुए विदा हो गये कि अब वहीं दाह-संस्कार करेंगे.

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कोरोना की पहली लहर में पिछले वर्ष 2020 में एक बैंक अधिकारी की मौत कोरोना संक्रमण के कारण हो गयी थी. उनके परिजन शव को लेकर बरारी श्मशान घाट पहुंचे. यहां डेढ़ लाख की डिमांड की गयी. शव घंटों पड़ा रहा, पर घाट राजा मानने को तैयार नहीं हुए. शव लौटा कर मायागंज अस्पताल लाया गया. दूसरे दिन पुलिस के हस्तक्षेप के बाद शवदाह संभव हो सका.

श्मशान घाट की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था नगर निगम के अंतर्गत है. श्मशान घाट पर शवदाह का शुल्क तय करने का निर्णय निगम की बैठक में लिया गया था. पर नहीं लिया गया. बाद में कोरोना काल में जब घाट पर परेशानी बढ़ गयी तो कहा गया कि कोरोना टले तो निर्णय किया जायेगा, पर आज तक नगर निगम प्रशासन ने शुल्क तय नहीं किया है. इस कारण प्राय: हर दिन शुल्क को लेकर झगड़ा होता है. कई बार शव वापस लेकर लोग जा चुके हैं. पर न तो निगम जग रहा है और न ही यहां के जनप्रतिनिधि या प्रशासन को इससे मतलब है.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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