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मदरसा बम कांड: मौत से पहले इमाम ने तीन अंगुली से किये इशारे, पुलिस ने सुलझाई गुत्थी, जानिए क्या कहा

नवटोलिया मदरसा में हुए बम विस्फोट के दौरान जख्मी हालत में इमाम के द्वारा अपने तीन अंगूली से कुछ इशारा कर रहे थे. बम विस्फोट के बाद घटनास्थल पर पहुंची गांव की महिलाओं ने बताया था कि इमाम ने जख्मी हालत में अंगूली से इशारा कर कुछ बताना चाह रहे थे. जिस गुत्थी को पुलिस ने सुलझाते हुये बताया है कि इमाम अपने पास रखा पैसा की ओर इशारा करना चाह रहे थे.

नवटोलिया मदरसा में हुए बम विस्फोट के दौरान जख्मी हालत में इमाम के द्वारा अपने तीन अंगूली से कुछ इशारा कर रहे थे. बम विस्फोट के बाद घटनास्थल पर पहुंची गांव की महिलाओं ने बताया था कि इमाम ने जख्मी हालत में अंगूली से इशारा कर कुछ बताना चाह रहे थे. जिस गुत्थी को पुलिस ने सुलझाते हुये बताया है कि इमाम अपने पास रखा पैसा की ओर इशारा करना चाह रहे थे.

जांच में घटनास्थल पर से पुलिस को एक अलमीरा से 1 लाख 65 हजार बरामद हुआ था. जिस राश को मृतक इमाम के भाई को दे दिया गया है. मालूम हो कि मृतक इमाम के तीन बच्चे है. जिसमें तीन वर्षीय बेटी खनिज फातिमा जो दिल के बीमारी से ग्रसित है. चिकित्सक ने ऑपरेशन की सलाह दी थी. परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है.

बम ब्लास्ट से हुए मदरसा ध्वस्त व इमाम की मौत के बाद कई टीम अलग-अलग बिंदुओं पर जांच कर रही है. सेंट्रल आइबी, एटीएस व एसआइटी मुख्य रूप से शामिल है.गुरुवार को डीएम सुहर्ष भगत व एसपी अरविंद कुमार गुप्ता ने एक प्रेस वार्ता कर घटना में विस्फोट हुये बम को लोकल बम बताया है.

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घटनास्थल पर से पुलिस को सुतरी, कांटी, सीसा व कंटेनर बरामद हुआ है. घटना का कोई आतंकी कनेक्शन की बात सामने नही आयी है. प्रारंभिक जांच में मदरसा स्थित एक कंटेनर में बम रखे जाने की बात सामने आयी है. चूंकि कंटेनर मदरसा के दिवार से सटा रखा था. जिसके कारण बम विस्फोट होने से मदरास का दिवार ढह गया और मदरसा का छत जमीनदोंज हो गया. लॉकडाउन में मदरसा बंद था. जिसके कारण वहां कोई बच्चा नहीं पढ़ रहा था.

डीएम सुहर्ष भगत ने बताया कि बम विस्फोट के बाद नवटोलिया मदरसा की जांच करायी गयी. मदरसा 18-20 साल पुराना है. मदरसा रैयती जमीन पर बना था. इसके खतियानी रैयत बुधन मियां थे. मदरसा बोर्ड में इसका कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है. मदरसा के संस्थापक का नाम मो. फारुक है. इदरीस अंसारी व मो. अहमद इसके सदस्य है. यह मदरसा लोकल सहायता से संचालित होता था. मदरसा में 50-60 बच्चे पढ़ाई करते थे. लॉकडाउन में मदरसा बंद था. 2010 से ही मृतक इमाम अब्दुल मोबिन मदरसा में रहता था. जो बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ मस्जिद में मौलाना का भी काम करता था.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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