भारत में कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में महिलाएं पिछड़ रही है. कोविन डैशबोर्ड पर उपलब्ध आकड़ों के मुताबिक चार जून तक देश की 178.9 मिलियन आबादी का टीकाकरण किया जा चुका है. इनमें पुरुषों की संख्या 54 फीसदी है. हालांकि कुछ राज्यों में लिंगानुपात में अंतर के कारण यह आंकड़े आ सकते हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक टीकाकरण में लिंग का अंतर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अलग अलग है. क्योंकि इस मामले में जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है. जबकि केरल और छत्तीसगढ़ में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है, जिन्हें वैक्सीन की एक डोज मिल चुकी है.
आखिर टीकाकरण में लिंग अंतर के मायने क्या है इसे जानने के लिए पहले यह समझना होगा की भारत में लिंगानुपात कितना है. 2011 के जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक भारत में पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक है. 2011 के सेंसस के अनुसार भारत में प्रति हजार पुरुषों पर 943 महिलाएं थीं. राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग द्वारा मार्च 2021 के लिए किए गए जनसंख्या अनुमानों के अनुसार, भारत में प्रति हजार पुरुषों पर 948 महिलाएं होने की संभावना है. तो यह क्या यह भी एक कारण हो सकता है कि भारत में टीका लगाने वाले पुरुषों की संख्या अधिक है.
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पर ऐसा होने की संभावना नहीं दिखती है. क्योकि भारत में जैसे जैसे आयु वर्ग बढ़ता है लिंगनुपात घटता जाता है. क्योंकि 60 वर्ष से के समूह में यह आकंड़ा 1065 है. 45-60 के समूह में यह आंकड़ा 982 है. जो 18-45 में गिरकर 939 हो जाता है.
पर कोविन डैशबोर्ड में अन आयु समूहो के लिए किये गये टीकाकरण का लिंग आधारित आंकड़ा नहीं मिलता है. इसमें आयु वर्ग के मुताबिक संपूर्ण डाटा रहता है. कोविड डैशबोर्ड के मुताबिक चार जून तक 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 44.1 फीसदी, 45-60 आयु वर्ग को 36.5 फीसदी और 18-45 आयु वर्ग को 7.1 फीसदी टीकाकरण हुआ है. चूंकि 45 वर्ष से अधिक की आयु वर्ग में महिलाओं का लिंगानुपात ज्यादा है और इस वर्ग का टीकाकरण सबसे अधिक हुआ है. तो इसमें सबसे अधिक संख्या महिलाओं की होनी चाहिए थी पर ऐसा नहीं हुआ है. इससे यह पता चल रहा है कि टीकाकरण में महिलाएं पिछड़ रही हैं.
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और महिलाएं इसके लिए कई कारकों को जिम्मेदार मानती हैं. जिनमें जिनमें स्वास्थ्य देखभाल में लंबे समय से चली आ रही संरचनात्मक समस्याएं, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी, तकनीकी पहुंच में लिंग विभाजन और संसाधनों पर घरों के पुरुष सदस्यों के बड़े नियंत्रण शामिल हैं.
2019-20 में 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के पहले चरण से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग आधे पुरुषों की तुलना में औसतन 10 में से तीन महिलाएं ही इंटरनेट का उपयोग करती हैं. इन 22 राज्यों के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का औसत संयुक्त रूप से दर्शाता है कि 10 में से छह पुरुषों की तुलना में 10 में से चार महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करती हैं.
Posted By: Pawan Singh