Ranchi Latest News, 6th jpsc result news रांचीू : झारखंड हाइकोर्ट ने छठी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा की मेरिट लिस्ट (रिजल्ट) व अनुशंसाओं को निरस्त कर दिया है. आठ सप्ताह के अंदर झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को फ्रेश मेरिट लिस्ट (रिजल्ट) जारी करने का आदेश दिया. साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जेपीएससी से पुनरीक्षित अनुशंसा मिलने पर चार सप्ताह के अंदर अनुशंसित अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाये.
जून 2020 में जेपीएससी द्वारा की गयी अनुशंसा के आलोक में नियुक्त 326 अधिकारियों की नियुक्ति भी रद्द हो गयी. कोर्ट ने इस मामले में जीपीएससी के अधिकारियों की जिम्मेवारी तय कर कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है. जेपीएससी के गठन से लेकर अबतक में यह पहली घटना है, जब कोर्ट ने पूरी मेरिट लिस्ट ही रद्द कर दी. इससे पहले के मामलों में सीबीआइ जांच तक हो चुकी है, पर पूरी मेरिट लिस्ट कभी रद्द नहीं हुई.
हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाया. अदालत ने कहा कि क्वालिफाइंग पेपर (हिंदी, अंग्रेजी) का मार्क्स जोड़ना तथा परीक्षा की शर्तों से संबंधित कंडिका-13 के न्यूनतम निर्धारित मार्क्स के विपरीत फाइनल रिजल्ट जारी करना गलत है.
कहा कि आयोग ने प्रारंभिक परीक्षा में कट ऑफ मार्क्स को माना, लेकिन मुख्य परीक्षा का रिजल्ट तैयार करने में इसकी अनदेखी की गयी. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इसके लिए निकाले गये विज्ञापन में जो शर्तें थी उसमें भी बाद में बदलाव कर दिया गया. ऐसा करना गलत है.
क्वालिफाइंग पेपर्स का मार्क्स जोड़ना व न्यूनतम अंक के बिंदु पर परीक्षा के परिणाम को चुनौती देनेवाली दिलीप कुमार सिंह, प्रदीप राम, सुमित कुमार महतो व अन्य की याचिका पर अदालत ने यह माना कि जेपीएससी ने जो रिजल्ट प्रकाशित किया है, उसमें न्यूनतम अंक की शर्तों की अनदेखी की गयी है.
अदालत ने प्रार्थियों की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए जेपीएससी की मेरिट लिस्ट (रिजल्ट) व अनुशंसाओं को निरस्त कर दिया. अदालत ने छठी जेपीएससी परीक्षा के रिजल्ट को चुनौती देनेवाली याचिकाओं को चार भागों में बांट कर अपना फैसला सुनाया. पूर्व में 11 फरवरी को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
दिलीप कुमार सिंह, प्रदीप राम, मुकेश कुमार, रविकांत प्रसाद, सुमित कुमार महतो व रूबी सिन्हा की ओर से दायर याचिकाओं को अदालत ने स्वीकार कर लिया.
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से पूर्व महाधिवक्ता व वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार तथा अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया था कि जेपीएससी द्वारा जारी छठी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा का अंतिम तौर पर जारी रिजल्ट व अनुशंसा विधिसम्मत नहीं है. राज्य सरकार द्वारा की गयी नियुक्तियां भी गलत है. रिजल्ट के प्रकाशन में नियमों की अनदेखी की गयी है.
बताया गया कि क्वालिफाइंग पेपर का प्रश्न मैट्रिक स्तरीय था और सिर्फ अभ्यर्थियों के भाषा संबंधी कार्यकारी ज्ञान के लिए था. उसका अंक मेधा सूची में जोड़ा जाना गलत था. परीक्षा की शर्तों से संबंधित कंडिका-13 का अनुपालन प्रारंभिक परीक्षा में आयोग द्वारा किया गया, लेकिन मुख्य परीक्षा में इसकी अनदेखी की गयी. जय गुड़िया के मामले में हाइकोर्ट द्वारा पारित आदेश का उदाहरण देते हुए बताया गया कि जेपीएससी ने मेधा सूची बनाने और नियुक्ति के लिए अनुशंसा करने में स्पष्ट गलतियां की हैं.
इसका खामियाजा योग्य अभ्यर्थियों को उठाना पड़ रहा है. इसमें सुधार किया जाना जरूरी है. वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन व जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पक्ष रखा. उन्होंने प्रार्थियों की दलील का विरोध करते हुए अदालत को बताया था कि जेपीएससी ने विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप छठी सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट जारी किया था.
इस रिजल्ट के आधार पर 326 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया. रिजल्ट प्रकाशित करने के बाद नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को अनुशंसा भेजी गयी थी. रिजल्ट प्रकाशित करने में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है.
प्रभात खबर लगातार छठी जेपीएससी में हुई गड़बड़ियों के मामले को उठाता रहा है. हाइकोर्ट ने जिन प्रमुख बिंदुओं पर इस परीक्षा के रिजल्ट और अनुशंसाओं को रद्द किया, उन गड़बड़ियों की ओर प्रभात खबर ने पहले ही इशारा कर दिया था.
क्वालिफाइंग पेपर का मार्क्स जोड़ कर रिजल्ट निकाला गया
जेपीएससी ने विज्ञापन में सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों में किया बदलाव
हाइकोर्ट ने कहा
आठ सप्ताह के अंदर जेपीएससी नया मेरिट लिस्ट (रिजल्ट) जारी करे
जेपीएससी से
पुनरीक्षित अनुशंसा मिलने पर राज्य सरकार चार सप्ताह में करे नियुक्तियां
अदालत ने अपने आदेश में यह भी व्यवस्था दी है कि झारखंड लोक सेवा आयोग के संबंधित अधिकारियों, जिनके कारण छठी जेपीएससी रिजल्ट तैयार करने में उपरोक्त गलतियां हुई हैं, उनके संबंध में जिम्मेवारी निर्धारित की जाये. जिम्मेवारी तय कर राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करे, ताकि दोबारा ऐसी गलती अधिकारी नहीं कर सकें.
अदालत ने लगभग 16 याचिकाओं पर फरवरी 2021 में लगातार सुनवाई की थी. सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने 11 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. सोमवार को अदालत ने छठी जेपीएससी रिजल्ट को लेकर विभिन्न विषयों पर दायर नौ याचिकाओं को निरस्त कर दिया. प्रार्थियों की दलील को अदालत ने खारिज कर दिया. वहीं अदालत ने छह याचिकाओं को स्वीकार करते हुए छठी जेपीएससी के रिजल्ट व अनुशंसा को निरस्त कर दिया. साथ ही फ्रेश मेरिट लिस्ट तैयार कर राज्य सरकार को अनुशंसा भेजने का आदेश दिया.
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326 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन का प्रकाशन वर्ष 2016 में
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पीटी परीक्षा का आयोजन 18.12.2016
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पीटी रिजल्ट का प्रकाशन 23.2.2017
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पीटी का संशोधित रिजल्ट प्रकाशन 11.8.2017
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पीटी के दूसरे संशोधित रिजल्ट का प्रकाशन 6.8.2018
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मुख्य परीक्षा का आयोजन 28.01.2019 से
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मुख्य परीक्षा का रिजल्ट 15.02.2020
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साक्षात्कार 24 फरवरी 2020 से छह मार्च 2020 तक
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फाइनल रिजल्ट व कट ऑफ मार्क्स 21.04.2020
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सरकार के पास मेधा सूची की अनुशंसा 29.05.2020
Posted By : Sameer Oraon