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जन्म के समय लिंगानुपात में उत्तराखंड का प्रदर्शन बेहद खराब, छत्तीसगढ़ और केरल टॉप पर

नयी दिल्ली : कुछ दिनों पहले नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के अनुसार, जन्म के समय लिंगानुपात (Sex Ratio) के मामले में उत्तराखंड (Uttarakhand) सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में उभरा है. एसडीजी के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड राज्य का लिंगानुपात 840 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 899 है. वहीं, छत्तीसगढ़ में लिंगानुपात सबसे बेहतर है.

नयी दिल्ली : कुछ दिनों पहले नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के अनुसार, जन्म के समय लिंगानुपात (Sex Ratio) के मामले में उत्तराखंड (Uttarakhand) सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में उभरा है. एसडीजी के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड राज्य का लिंगानुपात 840 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 899 है. वहीं, छत्तीसगढ़ में लिंगानुपात सबसे बेहतर है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस श्रेणी में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला छत्तीसगढ़ है. यहां जन्म के समय पुरुष-महिला अनुपात 958 है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर है. नीति आयोग की रिपोर्ट में आगे दिखाया गया है कि केरल 957 के लिंगानुपात के साथ दूसरे स्थान पर है. कम लिंगानुपात वाले पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों ने अपनी स्थिति में सुधार किया है.

जहां हरियाणा में प्रति 1000 पुरुषों पर 843 महिलाओं का जन्म दर्ज किया गया, वहीं पंजाब में यह संख्या 890 तक पहुंच गयी है. कुल मिलाकर, केरल नीति आयोग सूचकांक में 75 के स्कोर के साथ शीर्ष प्रदर्शन करने वाला राज्य था, जबकि बिहार को 52 के स्कोर के साथ सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य घोषित किया गया था. देश के समग्र एसडीजी स्कोर में 6 अंकों का सुधार हुआ है. यह स्कोर 2019 में 60 से 2020-21 में 66 हो गया.

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नीति आयोग ने एक बयान में कहा कि लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में यह सकारात्मक कदम काफी हद तक स्वच्छ जल और स्वच्छता साथ ही सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा में अनुकरणीय देशव्यापी प्रदर्शन से प्रेरित है. एसडीजी सूचकांक सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मानकों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का मूल्यांकन करता है.

इसे पहली बार दिसंबर 2018 में लॉन्च किया गया था, चकांक देश में एसडीजी पर प्रगति की निगरानी के लिए प्राथमिक उपकरण बन गया है और इसने एक साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैश्विक लक्ष्यों पर रैंकिंग देकर प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है. भारत में संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से विकसित यह सूचकांक देश के राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर प्रगति को मापता है और वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ाता है.

Posted By: Amlesh Nandan

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