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सोशल मीडिया के ज्ञान से उपजीं चिंताएं

व्हाट्सएप के ज्ञान की एक बार जांच अवश्य कर लें, ताकि आप उसके आधार पर कोई गलत धारणा ना बना बैठें.

आप गौर करें, तो पायेंगे कि रोजाना आपके पास सोशल मीडिया के ऐसे संदेश आते होंगे, जिनमें कोरोना से लेकर अनेक विषयों के बारे में ज्ञान दिया जाता होगा. शायद आपने भी एक ऑडियो सुना होगा, जिसमें बताया जाता है कि दूरसंचार विभाग का एक कथित वरिष्ठ अधिकारी अपने एक रिश्तेदार को बताता है कि कोरोना की दूसरी लहर 5जी नेटवर्क ट्रायल का नतीजा है तथा यह गुप्त बातचीत है, जिसे किसी तरह रिकॉर्ड कर आपके हित में सोशल मीडिया के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है.

इस कथित लीक ऑडियो में अधिकारी यह कह रहा होता है कि जब तक ट्रायल चलेगा, तब तक कोरोना के मामले आयेंगे और ज्यों-ज्यों ट्रायल खत्म होगा, मामले भी समाप्त होते जायेंगे. वह यह भी बताता है कि पश्चिमी देशों में भी 5जी के कारण ही कोरोना की लहर आयी थी. इस नेटवर्क को लेकर ऐसी अफवाहें केवल अपने देश में ही नहीं, विदेशों में भी खूब चली थीं. भारत में मोबाइल व इंटरनेट नेटवर्क 4जी तक पहुंचा है और 5जी नेटवर्क की प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन कई देशों, जैसे- अमेरिका, यूरोप, चीन और दक्षिण कोरिया में यह पहले से ही चल रहा है. इसे क्रांतिकारी तकनीक माना जा रहा है.

अभी हम मोबाइल और इंटरनेट के लिए 3जी से लेकर 4जी नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. अंतर इतना है कि 5जी तकनीक पुराने मोबाइल नेटवर्क से ज्यादा फ्रीक्वेंसी वाले तरंगों का इस्तेमाल करती है. इससे ज्यादा संख्या में मोबाइल पर एक साथ इंटरनेट सुविधा उपलब्ध हो सकती है. साथ ही, इंटरनेट की स्पीड भी तेज हो जाती है, लेकिन इसको लेकर सवाल भी उठे हैं कि 5जी तरंगों से कहीं कैंसर की आशंका तो नहीं है? वैज्ञानिक आधार पर ये आशंकाएं बेबुनियाद साबित हुईं हैं.

साल 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि आज तक मोबाइल फोन के इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर नहीं दिखा है. अभी इस बारे में पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि मोबाइल फोन से उत्पन्न तरंगों से कैंसर की कोई आशंका है. पिछले साल ब्रिटेन में भी यह फेक न्यूज व्यापक रूप से फैली थी कि कोरोना वायरस 5जी टावर के कारण तेजी से फैल रहा है. इसका असर यह हुआ कि लोगों ने कई मोबाइल टावर्स में आग लगा दी थी. भारत में भी ऐसी अफवाहों के बाद सरकार को स्पष्ट करना पड़ा था कि यह सब बेबुनियाद है.

लेकिन जब फेक न्यूज के आधार पर कोई सेलिब्रिटी अदालत में मुकदमा कर दे, तो चिंता बढ़ जाती है. हाल में फिल्म अभिनेत्री जूही चावला ने दिल्ली हाइकोर्ट में 5जी नेटवर्क के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी. हाइकोर्ट ने न सिर्फ याचिका को खारिज कर दिया, बल्कि यह भी कहा है कि याचिकाकर्ताओं ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है और उन पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया. हाइकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे यह याचिका प्रचार पाने के मकसद से दायर की गयी है.

दरअसल, जूही चावला ने सुनवाई की ऑनलाइन लिंक को सोशल मीडिया पर तीन बार शेयर किया, जिससे अदालत की कार्यवाही में बाधा पड़ी. इस लिंक की मदद से तो एक सज्जन कार्यवाही के दौरान जूही चावला की फिल्म का गाना सुनाने लगे. जूही चावला के साथ दो अन्य याचिकाकर्ताओं वीरेश मलिक और टीना वाच्छानी ने अपनी याचिका में कहा था कि अदालत सरकारी एजेंसियों को आदेश दें कि वे जांच कर पता लगाएं कि 5जी तकनीक स्वास्थ्य के लिए कितनी सुरक्षित है?

इस याचिका में 30 से अधिक सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं व संगठनों को वादी बनाते हुए अदालत से अनुरोध किया गया था कि 5जी को उस वक्त तक रोक दिया जाए, जब तक सरकार पुष्टि न कर ले कि इस तकनीक से कोई खतरा नहीं है. हाइकोर्ट ने सरकार को प्रतिवेदन दिये बिना 5जी वायरलेस नेटवर्क तकनीक को सीधे अदालत में चुनौती देने पर भी सवाल उठाये. कोर्ट ने कहा कि वादी जूही चावला और दो अन्य लोगों को पहले अपनी चिंताओं को सरकार के समक्ष उठाने की आवश्यकता थी और यदि वहां से इनकार किया जाता, तब उन्हें अदालत में आना चाहिए था.

आपने गौर किया होगा कि व्हाट्सएप ज्ञान कितना प्रभावशाली है कि इसने बड़ी संख्या में लोगों को कोरोना विशेषज्ञ बना दिया है. सोशल मीडिया पर ऐसी अनेक फेक खबरें चल रही हैं, जिनमें कोरोना के ठीक होने का दावा किया जाता है, जबकि इनसे अनेक मरीजों की जान संकट में पड़ जा रही है. डॉक्टरों का कहना है कि सुरक्षा की झूठी भावना स्वास्थ्य समस्याओं और अधिक जटिल बना देती है.

हाल में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के कृष्णपटनम गांव में कोरोना की ‘चमत्कारी आई ड्राप’ का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद गांव में हजारों लोगों की भीड़ जुटने लगी. प्रशासन को लोगों को नियंत्रित करने की पुलिस की व्यवस्था करनी पड़ी.

वायरल वीडियो में दावा किया गया था कि एक आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा बनाये गये आई ड्रॉप से 10 मिनट में कोरोना संक्रमण में राहत मिलती है और ऑक्सीजन का स्तर सामान्य हो जाता है. एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें आई ड्राप लेने के 10 मिनट बाद एक रिटायर्ड हेड मास्टर के पूरी तरह ठीक होने का दावा किया गया था. मीडिया से जानकारी मिली कि कुछ ही दिन बाद उस शख्स की कोरोना से मौत हो गयी. लेकिन उसका वीडियो कहीं नहीं चला.

कहीं शराब के काढ़े से कोरोना संक्रमितों की ठीक करने का दावा किया जा रहा है, तो किसी वीडियो में कहा जा रहा है कि गाय के गोबर और गोमूत्र का लेप पूरे शरीर पर लगाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और कोरोना वायरस से बचाव होता है. सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल होने के बाद गुजरात की गोशालाओं में लोगों की भीड़ लगने लगी.

किसी मैसेज में कहा जा रहा है कि पडुचेरी के एक छात्र रामू ने कोविड-19 का घरेलू उपचार खोज लिया है जिसे डब्ल्यूएचओ ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी है. उसने सिद्ध कर दिया कि काली मिर्च, शहद और अदरक का पांच दिनों तक सेवन किया जाए, तो कोरोना के प्रभाव को 100 फीसदी तक समाप्त किया जा सकता है, जबकि खुद विश्वविद्यालय को ऐसे रामू और उसकी किसी ऐसी खोज की जानकारी तक नहीं है. कहने का आशय यह है कि व्हाट्सएप के ज्ञान की एक बार जांच अवश्य कर लें, ताकि आप उसके आधार पर कोई गलत धारणा ना बना बैठें.

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