14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्यों आती है कोरोना की गलत रिपोर्ट, क्या है इसके पीछे का बड़ा कारण, समझें

कोरोना संक्रमित व्यक्ति की पहचान सीओवी-2 वायरस की पहचान से होती है, जिसे रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) पहचान लिया जाता है. इस जांट को सटकी माना गया है अगर कोई संक्रमित नहीं है तो कम संभावना है कि उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयेगी.

देश में ही नहीं विदेशों से भी कई बार यह खबर चर्चा में रही कि कई जगहों पर कोरोना रिपोर्ट गलत भी आती है. अगर कोई व्यक्ति संक्रमित नहीं है फिर भी उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसे फॉल्स पॉजिटिव कहते हैं.

कोरोना संक्रमित व्यक्ति की पहचान सीओवी-2 वायरस की पहचान से होती है, जिसे रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) पहचान लिया जाता है. इस जांट को सटकी माना गया है अगर कोई संक्रमित नहीं है तो कम संभावना है कि उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयेगी.

Also Read: ‘ब्लू टिक के लिए मोदी सरकार लड़ रही है, कोरोना वैक्सीन चाहिए तो आत्मनिर्भर बनो’, राहुल गांधी ने यूं कसा तंज

इन सबके बावजूद भी कई बार रिपोर्ट गलत आयी है. इसे समझने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आरटी-पीसीआर जांच काम कैसे करती है. अगर आप यह पूरी तरह समझ गये तो रिपोर्ट के गलत आने के कारणों को भी ठीक ढंग से समझ सकेंगे.

अगर इसे आसान भाषा में समझने की कोशिश करें तो इतना समझ सकते हैं कि नाक या गले से रूई के फाहों से लिए गए नमूनों (स्वाब सैंपल) में से आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड, एक प्रकार की आनुवांशिक सामग्री) को निकालने के लिए रसायनों का प्रयोग किया जाता है.

इसमें किसी व्यक्ति के आम आरएनए और अगर सार्स-सीओवी-2 वायरस मौजूद है, तो उसका आरएनए शामिल होता है। इस आरएनए को फिर डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) में बदला जाता है- इसी को “रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज (आरटी)” कहा जाता है. वायरस का पता लगाने के लिए इसे छोटे – छोटे टुकड़ों में बांटा जाता है. इसकी विशेष प्रकार के प्रतिदीप्त (फ्लोरोसेंट) डाई की मदद से पहचान होती है कि आप संक्रमित है या नहीं.

Also Read: अब शुक्र ग्रह के राज आयेंगे बाहर, नासा ने किया बड़ा ऐलान

अब समझिये रिपोर्ट कैसे गलत आते हैं, इसके पीछे लैब की गलती, गलत नमूने की जांच करना, किसी दूसरे के पॉजिटिव नमूने से अन्य नमूने का मिक्स हो जाना. सैंपल के साथ किसी तरह की समस्या बड़ा कारण है. एक शोध में पता चला कि गलत रिपोर्ट की दर 0-16.7 प्रतिशत है. शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि कोई जांच एकदम सटीक नहीं हो सकती उसमें गलती की गुजाइंश है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें