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वैक्सीन लगवाने के बाद कोरोना संक्रमण से किसी की भी नहीं हुई मौत, एम्स की स्टडी में दावा

नयी दिल्ली : कोरोनावायरस संक्रमण (coronavirus infection) की दूसरी लहर के कारण देश में लाखों लोगों की मौत हो गयी. लेकिन कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगवाने वाले किसी भी व्यक्ति की मौत कोरोना संक्रमण के कारण नहीं हुई है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की ओर से किये गये एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है. एम्स ने एक ब्रेक थ्रू सर्वे कराया है. बता दें कि वैक्सीन ले चुके शख्स को अगर कोरोना संक्रमण होता है तो इसे ब्रेक थ्रू कहा जाता है.

नयी दिल्ली : कोरोनावायरस संक्रमण (coronavirus infection) की दूसरी लहर के कारण देश में लाखों लोगों की मौत हो गयी. लेकिन कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगवाने वाले किसी भी व्यक्ति की मौत कोरोना संक्रमण के कारण नहीं हुई है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की ओर से किये गये एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है. एम्स ने एक ब्रेक थ्रू सर्वे कराया है. बता दें कि वैक्सीन ले चुके शख्स को अगर कोरोना संक्रमण होता है तो इसे ब्रेक थ्रू कहा जाता है.

एम्स की ओर से यह स्टडी उस समय किया गया, जब कोरोना संक्रमण पूरे देश में पीक पर था. अप्रैल से मई के बीच किये गये इस सर्वे में देखा गया कि जिन लोगों ने कोरोना वैक्सीन लगवा ली है और वे अगर कोरोना संक्रमित हुए हैं तो उनकी मौत इस संक्रमण के कारण नहीं हुई है. अप्रैल और मई वह महीना था जब एक दिन में चार लाख से अधिक नये मामले सामने आ रहे थे. बता दें कि सरकार भी लगातार कर रही है कि कोरोना से बचाव का वैक्सीन ही एक कारगर उपाय है.

स्टडी में 63 लोगों को शामिल किया गया था. इनमें से 41 पुरुष और 22 महिलाएं थीं. 10 व्यक्तियों को कोविशील्ड का वैक्सीन लगाया गया था, जबकि 53 को कोवैक्सीन का टीक लगा था. इनमें से 36 लोगों को दोनों डोज दिये जा चुके थे. 27 व्यक्तियों को कोविड-19 वैक्सीन की एक खुराक दी गयी थी. रोगियों की आयु 21 से 92 के बीच थी और उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं थी. इनमें से किसी की मौत कोरोना संक्रमण से नहीं हुई थी.

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अधिकतर मामलों में संक्रमित लोगों में B.1.617.2 और B.1.17 वेरिएंट देखने को मिला था, जो दिल्ली में संक्रमण के ज्यादातर मामलों में देखा जा रहा था. वैक्सीन लेने वाले लोग कोरोना संक्रमित तो हुए लेकिन उनमें कोई गंभीर लक्षण नहीं देखे गये और न ही उनकी तबीयत इतनी ज्यादा खराब हुई कि उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा जाए. इनमें से किसी को मौत भी नहीं हुई.

स्टडी में शामिल सबसे कम उम्र के शख्स की आयु 21 वर्ष थी और सबसे अधिक 92 वर्ष के शख्स को स्टडी में शामिल किया गया था. सभी कोरोना संक्रमण के बाद ठीक हुए और उनमें दोबारा संक्रमण नहीं देखा गया. इस बीच देश के कई हिस्सों से खासकर ग्रामीण इलाकों से खबर आ रही है कि वैक्सीन से डर के कारण लोग या तो भाग जा रहे हैं या फिर स्वास्थ्य टीम पर ही हमला कर दे रहे हैं. हालांकि राज्य सरकारें भी लोगों को वैक्सीन के प्रति जागरुक करने लिए कई अभियान चला रही है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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