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टीएसी अब राज्यपाल नहीं बल्कि सीएम नियुक्त करेंगे, जानें क्या होगी इसकी भूमिका और नये नियम के मुताबिक क्या होंगे रूल्स

नियमावली में सदस्यों के मनोनयन का अधिकार राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री में निहित कर दिया गया है. पूर्व में इन सदस्यों के मनोनयन की अनुशंसा के लिए सरकार की तरफ से राज्यपाल को नाम भेजे जाते थे.

Jharkhand News, CM Hemant Soren Today News रांची : झारखंड जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की नयी नियमावली की अधिसूचना जारी कर दी गयी है. इसके तहत अब टीएसी के गठन में राजभवन की भूमिका नहीं रहेगी, बल्कि मुख्यमंत्री ही सदस्यों का मनोनयन करेंगे. मुख्यमंत्री टीएसी के पदेन अध्यक्ष तथा अनुसूचित जनजाति, जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री उपाध्यक्ष होंगे. शुक्रवार को झारखंड ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल रूल 2021( Jharkhand Tribal Advisory Council Rule 2021) की अधिसूचना जारी की गयी.

पूर्व में राज्यपाल को भेजे जाते थे मनोनयन के लिए नाम :

नियमावली में सदस्यों के मनोनयन का अधिकार राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री में निहित कर दिया गया है. पूर्व में इन सदस्यों के मनोनयन की अनुशंसा के लिए सरकार की तरफ से राज्यपाल को नाम भेजे जाते थे.

वर्तमान सरकार के गठन के बाद सरकार ने टीएसी के सदस्यों के मनोनयन को लेकर दो बार नाम राजभवन भेजे थे, लेकिन वहां से इन्हें वापस कर दिया गया था. इसे देखते हुए सरकार ने नयी नियमावली में अब यह व्यवस्था ही समाप्त कर दी. अब सदस्यों के मनोनयन में राजभवन की भूमिका ही नहीं रहेगी. हालांकि राज्यपाल राज्य में जनजातीय आबादी के विकास के लिए टीएसी की सलाह ले सकती हैं.

  • काउंसिल का गठन झारखंड के अनुसूचित क्षेत्र और अनुसूचित जनजाति के लिए होगा. जिसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष के अलावा 18 सदस्य होंगे.

  • मुख्यमंत्री काउंसिल के पदेन अध्यक्ष और सदस्य होंगे. जनजातीय कल्याण विभाग के मंत्री परिषद के डिप्टी चेयरमैन होंगे.

  • परिषद के बाकी बचे तीन सदस्य ऐसे होंगे, जिन्हें जनजातीय मामलों में रुचि, विशेष ज्ञान और अनुसूचित जनजाति कल्याण के क्षेत्र का तजुर्बा हो. मुख्यमंत्री के मनोनयन से इन तीन सदस्यों की नियुक्ति होगी. इनका कार्यकाल मुख्यमंत्री की सहमति से ही बढ़ाया जा सकता है.

  • अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रधान या सचिव अथवा कोई अन्य व्यक्ति, जिसे सरकार की तरफ से चुना जायेगा, वे परिषद के सचिव होंगे.

  • झारखंड राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण एवं विकास के लिए राज्यपाल इस परिषद की सलाह ले सकेंगे.

  • काउंसिल के सदस्यों को सरकार की तरफ से उनके कार्यों के एवज में किसी प्रकार का भुगतान नहीं किया जाएगा.

  • एक साल में परिषद की कम से कम दो सामान्य बैठकें होंगी. हर बैठक की सूचना दस दिन पहले सदस्यों को देनी होगी.

  • बैठक का कोरम पूरा करने के लिए अध्यक्ष सहित कम से कम सात सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य है.

  • काउंसिल के अध्यक्ष जरूरत पड़ने पर किसी भी विभाग के सचिव या अन्य अधिकारी को बैठक में बुला सकते हैं.

  • इस नियमावली की घोषणा होते ही संयुक्त बिहार में बने बिहार ट्राइब्स एडवाजरी काउंसिल रूल्स, 1958 झारखंड राज्य के लिए स्वत: अप्रभावी हो जायेंगे.

  • 18 सदस्यों में 15 सदस्य अनुसूचित जनजाति से आनेवाले ऐसे विधायक होंगे, जिन्हें मुख्यमंत्री चुनेंगे. इनकी सदस्यता विधानसभा की सदस्यता तक कायम रहेगी.

Posted By : Sameer Oraon

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