World Environment Day 2021 (संजय सागर, बड़ाकागांव, हजारीबाग) : झारखंड के हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड के बुढ़वा महादेव पहाड़ के जंगलों की हरियाली खत्म हो गयी है. फरवरी, 2021 तक इस पहाड़ के चारों ओर हरियाली थी, लेकिन मार्च के बाद इस पहाड़ पर विरानी छा गयी है. वहीं, कर्णपुरा क्षेत्र में जंगलों का अस्तित्व खतरे में है. पर्यावरण संतुलन की जगह बढ़ते प्रदूषण का जिम्मेवार कौन है.
हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड स्थित बुढ़वा महादेव पहाड़ में फरवरी, 20211 तक हरियाली थी. इसी हरियाली को देखने लोग दूरदराज से यहां आते थे. लेकिन, मार्च-अप्रैल 2021 में इस जंगल में किसी ने आग लगा दी. आग इतनी भयानक थी कि यह क्षेत्र अब विरान सा दिखने लगा है.
कर्णपुरा क्षेत्र के टंडवा, बड़कागांव, केरेडारी, कटकमसांडी क्षेत्र में पर्यावरण का दोहन किया जा रहा है. हजारीबाग-बड़कागांव भाया केरेडारी रोड होते टंडवा की सड़कों पर आपको धूल ही धूल नजर आयेंगे. यही कारण है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board ) ने झारखंड के हजारीबाग जिले को प्रदूषण के मामले में गंभीर जिला माना है. हालांकि, कोल कंपनियों द्वारा प्रदूषण फैलाये जाने को लेकर राजनीतिक और सामाजिक रूप से कई बार आंदोलन भी हुए हैं. मामला कोर्ट तक भी पहुंचा है.
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सड़क निर्माण के नाम पर पेड़-पौधे काट दिये गये. टंडवा व चिरुडीह तथा पंकरी बरवाडीह कोल खदानों से कोयले की ट्रांसपोर्टिंग के कारण पेड़-पौधों की हरियाली खत्म हो गयी. पेड़-पौधे काले दिखने लगे हैं, तो बिना हवा के भी धूलकण उड़ते साफ देखे जा सकते हैं. कभी-कभी तो इन धूलकणों से सूरज की किरणें भी फीकी नजर आती है. इन सबके बीच जिले का प्रदूषण विभाग अब भी इस बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर उदासीनता बना हुआ है.
हजारीबाग से रांची के बीजूपाड़ा तक सड़क निर्माण का कार्य पिछले 3 वर्षों से हो रहा है. निर्माण कार्य के दौरान सड़क को जहां-तहां काटकर निर्माण किया जा रहा है. सड़क के टूटे होने के कारण सड़क पर हमेशा धूल का गुब्बार उड़ता रहता है. जिससे इस सड़क से गुजरने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं, बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण लोग टीबी सहित कई प्रकार की सांस संंबंधी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.
प्रदूषण का प्रभाव क्षेत्र के लोगों से लेकर जानवरों व पेड़-पौधों तक पर पड़ रहा है. इस संबंध में बड़कागांव के लोगों का कहना है कि एनटीपीसी के चिरूडीह कोयला खदान के कारण जुगरा घाटी और बड़कागांव-हजारीबाग घाटी में धूलकण उड़ते रहते हैं. टंडवा के मगध व आम्रपाली कोयला खदान से भी कोयला लेकर चलने वाले भारी वाहनों के आने-जाने से सड़क पर काफी धूल उड़ती है, जो प्रदूषण का मुख्य कारण है. वैसे एनटीपीसी द्वारा आराहरा मोड़ से लेकर टावर तक पानी का छिड़काव कराया जाता है, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है. पानी छिड़काव का असर थोड़े समय के लिए होता है. इसके बाद दोबारा धूलकण उड़ना शुरू हो जाता है.
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देश के 100 औद्योगिक शहरों के प्रदूषण की स्थिति का आकलन कराया है. इसमें झारखंड के हजारीबाग, सरायकेला व रामगढ़ को गंभीर प्रदूषित शहर की श्रेणी में रखा है. झारखंड के 3 शहरों का इंडेक्स 60 से 70 के बीच पाया गया है. सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन शहरों के लिए एक्शन प्लान बनाने को कहा है.
Posted By : Samir Ranjan.