गुमला : चैनपुर प्रखंड की बारडीह पंचायत में मरवा गांव है. यह गांव घने जंगल व पहाड़ों के बीच है. मरवा गांव के 30 वर्षीय महेंद्र महतो का तीन माह पहले भाकपा माओवादियों द्वारा जंगल में बिछाये गये बारूदी सुरंग में एक पैर उड़ गया था. एक माह तक उसका रांची व गुमला अस्पताल में इलाज चला. इसके बाद उसका एक पैर काटना पड़ा. एक पैर से अपाहिज होने के बाद दो महीने से महेंद्र अपने घर में बिस्तर पर पड़ा हुआ है.
नक्सलियों की करतूत से कमाने खाने वाला युवक अपाहिज हो गया. घर में कमाने वाला कोई व्यक्ति नहीं है. परंतु प्रशासन ने इस पीड़ित परिवार की मदद नहीं की. किसी प्रकार का मुआवजा भी नहीं दिया. सिर्फ घटना के वक्त गुमला के पुलिस अधीक्षक ने महेंद्र के परिवार को 20 हजार रुपये देकर प्राथमिक मदद की थी. उसमें से भी आठ हजार महेंद्र का ही रिश्तेदार दूसरे कामों में खर्च कर दिया.
मात्र 12 हजार मिला. जिसमें अब तक उसका जैसे-तैसे इलाज चला. कुछ दिनों तक पुलिस विभाग की खर्च पर महेंद्र का रांची के मेडिका अस्पताल में इलाज भी चला. परंतु तीन महीना में एक दिन भी गुमला प्रशासन या चैनपुर प्रशासन ने महेंद्र की मदद करने व मुआवजा देने की पहल नहीं की. महेंद्र की मां अमाषी देवी ने बताया कि वे लोग प्रखंड प्रशासन से मिलने पहुंचे थे.
ताकि कुछ मदद मिल सके. जिससे घर का जीविका चल सके. परंतु प्रशासन ने आवेदन जमा करने के लिए कहा. उपायुक्त से भी मदद की गुहार लगा चुके हैं. परंतु मदद नहीं मिली है. सिर्फ आवेदन जमा करने के लिए कहते हैं. इधर, एक पैर से अपाहिज होने के बाद महेंद्र घर पर पड़ा रहता है. महेंद्र ने कहा कि प्रशासन मुआवजा दें. ताकि वह जी खा सके.
Posted By : Sameer Oraon