सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वैक्सीन लेने के लिए कौन सा तरीका अपनाना होगा. कोर्ट ने कोविन ऐप के इस्तेमाल से रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता पर भी सवाल किया. इस मामले पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा वैक्सीन के लिए जो भी लोग रणनीति बना रहे हैं उन्हें डिजिटल इंडिया की हकीकत का पता होना चाहिए. जमीनी हकीकत क्या है इसे जानकर ही कोई रणनीति बनानी चाहिए.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने स्वत : संज्ञान के मामले में सुनवाई करते हुए कहा, केंद्र सरकार ने वैक्सीन के लिए कोविन ऐप को अनिवार्य किया है.
इस देश में डिजिटल विभाजन एक बड़ी समस्या है. ग्रामीण इलाकों में हालात शहरों की तरह नहीं है. अगर झारखंड का एक निरक्षर मजदूर राजस्थान में वैक्सीन लेना चाहे तो कैसे रजिस्ट्रेशन करायेगा. इस विभाजन को आप कैसे दूर करेंगे. आपको देश की जमीनी हकीकत का पता होना चाहिए
सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए पहचान आसान हो इसलिए इसे अनिवार्य किया गया है. ग्रामीण इलाकों में सामुदायिक केंद्र है जहां जाकर वैक्सीन लिया जा सकता है.
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इस पर कोर्ट ने पूछा कि आपको लगता है कि यह प्रक्रिया सही है कोर्ट ने इस संबंध में रणनीति के दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया है. साथ ही केंद्र सरकार की वैक्सीन आवंटन के लिए रणनीति पर भी सवाल किया गया जिसमें पूछा गया कि वैक्सीन खरीद के लिए कई राज्य सरकार आगे आ रही है इसे लेकर क्या रणनीति है.