प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ( रविवार ) मन की बात कार्यक्रम के जरिये पूरे देश को संबोधित किया. इस संबोधन में उन्होंने कोरोना संक्रमण, देश में आये तूफान और आपदाओं का भी जिक्र किया इससे देश के कई राज्य प्रभावित हुए. उन्होंने कहा, देश की जनता पूरी ताकत के साथ लड़ी. उन्होंने इन हादसों में मारे गये परिजनों के प्रति संवेदना भी प्रकट की.
मन की बात में प्रधानमंत्री ने सभी सरकारों के योगदान का जिक्र किया उन्होंने कहा, केंद्र, राज्य सरकारें और स्थानीय प्रशासन सभी एक साथ मिलकर इस आपदा के सामने करने में जुटे हैं. मैं उन सभी लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं, जिन्होंने अपने करीबियों को खोया है.
ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले एपिसोड में डॉक्टर्स, नर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और कोरोना सर्वाइवर्स पर अपनी बात रखी थी इस बार भी उन्होंने इन्हें याद किया और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश की स्थिति का भी जिक्र किया. वैक्सीनेशन को लेकर फैली अफवाहों को भी दूर करने की कोशिश की थी.
Also Read:
PNB Scam Case: मेहुल चोकसी को भारत लाने में क्या हो रही है परेशानी, कबतक वापसी संभव ?
पीएम मोदी ने मन की बात में कोरोना संक्रमण का भी जिक्र करते हुए कहा, इस तरह की आपदा तो दुनिया पर सौ साल बाद आयी है. हमारे पास इस तरह की आपदा से निपटने का कोई अनुभव नहीं था. इस दौरान ही देश ने ऐसा काम किया जो पहले कभी नहीं हुआ. देश में हुई ऑक्सीजन की कमी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, सामान्य दिनों में हमारे पास 900 मीट्रिक टन ऑक्सिजन का उत्पादन होता था. अब ऑक्सीजन का उत्पादन 10 गुना तक बढ़ गया है.
मन की बात में प्रधानमंत्री ने दिल्ली के लैब टेक्नीशियन प्रकाश कांडपाल से भी बात की उन्होंने कोरोना संक्रमण के दैरान परिवार की चिंता का जिक्र करते हुए कहा, जब परिवार वाले चिंता करता है, तो वे उन्हें सीमा पर तैनात जवानों की याद दिलाते थे.
कोरोना संक्रमण की शुरुआत में देश में केवल एक टेस्टिंग लैब थी लेकिन अब देश के पास ढाई हजार से ज्यादा लैब हैं. शुरु में एक दिन में कुछ सौ टेस्ट के रिपोर्ट आते थे लेकिन अब 20 लाख से ज्यादा टेस्ट रिपोर्ट आ रहे हैं. अबतक देश में 33 करोड़ से ज्यादा सैंपल की जांच हो चुकी है.प्रधानमंत्री ने एक बार फिर मन की बात में फ्रंट लाइन वर्कर्स का जिक्र किया और कहा, इतनी गर्मी में पीपीई किट पहने रखना आसान नहीं है. मैंने इन साथियों की चर्चा करना जरूरी समझा