बिहार में बालू और पत्थर खनन में लगे मजदूरों के संरक्षण और कल्याण की नीति बनेगी. इस संबंध में खान एवं भू-तत्व विभाग गंभीरता से विचार कर रहा है. इसी वित्तीय वर्ष में इस नीति को लाने की तैयारी की जा रही है. इसका फायदा करीब एक लाख मजदूरों को मिल सकेगा. फिलहाल इस तरह की नीति नहीं होने की वजह से खनन में लगे मजदूरों के साथ कोई भी अप्रिय घटना होने पर उनको या उनके परिवार को उचित सहायता नहीं मिल पाती है.
सूत्रों के अनुसार खनन कार्य में जुटे मजदूर बंदोबस्तधारियों की देखरेख में काम करते हैं. इन मजदूरों का काम जोखिम भरा होता है. इनका पंजीकरण नहीं होने की वजह से विभाग या सरकार को मजदूरों की संख्या सहित अन्य जानकारी नहीं होती है. ऐसे में मजदूरों के साथ हादसा होने की भी जानकारी विभाग या सरकार तक नहीं पहुंच पाती है.
सूत्रों का कहना है कि बंदोबस्तधारियों द्वारा भी इन मजदूरों से तय मानक से अधिक देर तक काम लिया जाता है और उचित पारिश्रमिक भी नहीं मिलती है. हादसा होने के बाद मजदूरों के परिजनों को उचित मुआवजा भी नहीं मिलता है.
खान एवं भू-तत्व विभाग के मंत्री जनक राम ने कहा कि खनन कार्य में जुटे राज्य के मजदूरों के संरक्षण और कल्याण के लिए नीति बनाने की तैयारी हो रही है. इसके बाद खनन कार्य में जुटे मजदूरों का पंजीकरण हो सकेगा और उनको और उनके परिवार को भी जरूरत के समय मदद दी जा सकेगी.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan