Jharkhand Cyber Crime News (आशीष कुंदन, देवघर) : देवघर एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा के निर्देश पर साइबर थाने की पुलिस ने चितरा थाना क्षेत्र के सोनातर, पथरड्डा ओपी क्षेत्र के घाघरा व जसीडीह थाना क्षेत्र में छापेमारी की. इस दौरान पूर्व में जेल गये तीन साइबर क्रिमिनल सहित 10 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया. इन साइबर क्रिमिनल के पास से छापेमारी टीम ने नगद 48500 रूपये, 13 मोबाइल, 22 सिमकार्ड, एक एटीएम कार्ड व ग्लैमर बाइक बरामद किया है. इस बात की जानकारी पुलिस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में एसपी श्री सिन्हा ने दी.
एसपी श्री सिन्हा ने बताया कि गिरफ्तार साइबर क्रिमिनल में चितरा थाना क्षेत्र के सोनातार गांव निवासी महेंद्र दास, दुमदुमी निवासी अजय कुमार दास, समीर महरा, पथरड्डा ओपी क्षेत्र के घाघरा गांव निवासी अजीत कुमार मंडल, सगा भाई बिनोद कुमार दास, उमेश दास, प्रमोद कुमार दास, पाथरौल थाना क्षेत्र के गोविंदपुर लकड़ा गांव निवासी सुभाष कुमार दास, सारठ थाना क्षेत्र के नया खरना गांव निवासी मंटू कुमार दास व जसीडीह थाना क्षेत्र के लीलुडीह गांव निवासी राजेंद्र कुमार दास शामिल है.
गिरफ्तार साइबर क्रिमिनल के पास से बरामद मोबाइल में अपराध से सबंधित काफी साक्ष्य मिले हैं. मामले को लेकर साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. कोरोना जांच के बाद गिरफ्तार साइबर क्रिमिनल को कोर्ट में पेश कराया जायेगा. फिर कोर्ट के निर्देश पर इन सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा जायेगा. प्रेस वार्ता में प्रभारी देवघर एसडीपीओ सह मुख्यालय डीएसपी मंगल सिंह जामुदा, साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सुधीर पौद्दार व एसआइ रूपेश कुमार भी मौजूद थे.
Also Read: PNB बोकारो सर्किल ऑफिस में हाई वोल्टेज ड्रामा, ऑक्सीजन सिलिंडर लिए ड्यूटी करने पहुंचे कर्मी, बैंक ने कहा- जांच रोकने के लिए रचा नाटक
एसपी ने बताया कि गिरफ्तार 10 साइबर क्रिमिनल में से चार आरोपियों का आपराधिक इतिहास रहा है. वर्ष 2020 में साइबर थाने के कांड में महेंद्र समेत समीर व अजय जेल गया था. वहीं, आरोपी विनोद वर्ष 2019 में गुजरात के पाटन जिले के बरही व चितपुर थाने के आईटी एक्ट के मामलों में जेल गया था. एसपी के मुताबिक नगदी 48, 500 रूपये आरोपित अजय के पास से बरामद हुआ और बाइक राजेंद्र के पास से बरामद हुआ है.
एसपी श्री सिन्हा ने कहा कि साइबर क्रिमिनल अलग-अलग तरीके से झांसे देकर लोगों की गाढ़ी कमायी उड़ा ले रहे हैं. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि विभिन्न बैंकों के अधिकारी बनकर लोगों को कॉल कर वे लोग ठगी करते हैं. केवाईसी अपडेट का झांसा देकर बैंक की सारी जानकारी हासिल कर लोगों के खाते में रखे रकम को मिनटों में खाली कर देते हैं. फोन-पे, पेटीएम मनी रिक्वेस्ट भेजकर झांसे से ओटीपी लेने के बाद ठगी करते हैं.
इतना ही नहीं, ये लोग गूगल सर्चइंजन पर विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक एप के साइट पर जाकर उसमें भी अपना मोबाइल नंबर को ग्राहक अधिकारी के नंबर की जगह डाल देते हैं. कोई ग्राहक उस नंबर को ग्राहक सेवा अधिकारी का नंबर समझ कर डायल करते हैं और झांसे में आकर सभी जानकारी आधार नंबर आदि साझा कर देते हैं. इसके बाद उन नंबरों के लिंक खाते को वे लोग मिनटों में साफ कर देते हैं.
टीम व्यूवर, क्विक सपोर्ट जैसे रिमोट एक्सेस एप इंस्टॉल कराकर गूगल पर मोबाइल का पहला चार डिजिट नंबर सर्च करते हैं और खुद से छह डिजिट जोड़कर रेंडमली साइबर ठगी करते हैं. यूपीआइ वॉलेट से ठगी किये ग्राहकों को पुन: एकाउंट में रिफंड का झांसा देकर पीड़ित के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर में कुछ जोड़कर वर्चुअल फर्जी एकाउंट बनाने के बाद यूपीआइ पिन लॉगिन कराकर भी ठगी कर रहे हैं.
Posted By : Samir Ranjan.