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International Biodiversity Day 2021 : झारखंड सरकार के इन प्रयासों से मिल रहा है जैव विवधता को बढ़ावा, राज्य में 58 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़े

भारतीय वन सर्वेक्षण-देहरादून के 30 दिसंबर 2019 के प्रतिवेदन में बताया गया है कि राज्य के वन क्षेत्रों में 58 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है. राज्य सरकार लगातार वन भूमि पर पौधरोपण को बढ़ावा दे रही है. साथ ही सभी जिलों में नदियों के किनारे पौधारोपण को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है.

Jharkhand Government Steps To Conserve Biodiversity रांची : राज्य की पहचान यहां के वन क्षेत्र और जैव विविधता है. सरकार के प्रयासों से राज्य के वन क्षेत्रों में लगातार वृद्धि हो रही है. वहीं जैव विविधता में भी बढ़ोतरी हो रही है. सरकार वनों के संरक्षण और विकास को लेकर प्रतिबद्ध है. सरकार के सतत प्रयास से राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 33.81 प्रतिशत हिस्से में वन है.

भारतीय वन सर्वेक्षण-देहरादून के 30 दिसंबर 2019 के प्रतिवेदन में बताया गया है कि राज्य के वन क्षेत्रों में 58 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है. राज्य सरकार लगातार वन भूमि पर पौधरोपण को बढ़ावा दे रही है. साथ ही सभी जिलों में नदियों के किनारे पौधारोपण को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है.

जैव विविधता की विशेषताएं :

झारखंड की जैव विविधता विशिष्ट भौगोलिक बनावट और जलवायु की देन है. यहां नेतरहाट का पहाड़ी क्षेत्र है, जो समुद्र तल से करीब 3622 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. वहीं प सिंहभूम स्थित सारंडा वन क्षेत्र को एशिया के सबसे बड़े साल के जंगलों वाला इलाका माना जाता है.

राज्य को नयी पहचान दिलाने का प्रयास :

जंगलों में कई प्रकार के कीटों की सैकड़ों प्रजातियां हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण व संवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है. दलमा में बड़ी संख्या में हाथी पाये जाते हैं. मुटा में मगरमच्छ प्रजनन केंद्र है. यहां इनके प्रजनन व विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है.

महुआडाड़ में भेड़िया अभयारण्य बनाया गया है. उधवा जल पक्षीय शरण स्थली में तरह-तरह के पक्षी देखे जा सकते हैं. सरकार का प्रयास है कि इस विशिष्ट जैव विविधता को संरक्षित और संवर्धित कर झारखंड की पहचान को और ऊंचाई दी जाये.

समस्या समाधान का हिस्सा है बायोडायवर्सिटी

इस बार बायोडायवर्सिटी डे का स्लोलन वी आर पार्ट ऑफ द सोल्युशन (हम समस्या समधान का एक हिस्सा हैं) है. पिछले साल आवर सोल्युशन आर इन नेचर (हमारी समस्या का समाधन पर्यावरण में है) था. इसी को आगे बढ़ाते हुए इस बार स्लोगन रखा गया है.

बायोडायर्विसटी बोर्ड के चेयरमैन राजीव रंजन ने कहा कि कोविड के इस काल में यह काफी गंभीर स्लोगन है. पर्यावरण से ही स्वास्थ्य, खाद्य औरजल समस्या दूर की जा सकती है. यह हमारे स्थायी आजीविका के लिए जरूरी है. राज्य में 4684 बीएमसी का गठन राज्य में हो चुका है.

हर गांव में बायो डायवर्सिटी मैनेजमेंट कमेटी बनायी जा रही है. करीब-करीब सभी गांव में कमेटी बन चुकी है. पीपुल्स बायो डायवर्सिटी रजिस्टर भी बनाये जा रहे हैं. इससे राज्य के जैव विधिवधता को संरक्षण मिल पायेगा. लोगों को जोड़ने का प्रयास हो रहा है.

राजीव रंजन, चेयरमैन, झारखंड बायो डायवर्सिटी बोर्ड

Posted By : Sameer Oraon

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