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बिहार में ग्रामीण इलाकों के 23 पीएचसी में बनेंगे आइसोलेशन सेंटर, ऑक्सीजन लेवल सही करने की होगी व्यवस्था

पटना जिले के ग्रामीण इलाकों में स्थित 23 पीएचसी में पांच बेड का आइसोलेशन सेंटर बनाया जायेगा. इसके लिए ऑक्सीजन सिलिंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, पल्स ऑक्सीमीटर, बेड, एंबुलेंस व अन्य जरुरत के सामान की खरीद की जायेगी.

पटना. पटना जिले के ग्रामीण इलाकों में स्थित 23 पीएचसी में पांच बेड का आइसोलेशन सेंटर बनाया जायेगा. इसके लिए ऑक्सीजन सिलिंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, पल्स ऑक्सीमीटर, बेड, एंबुलेंस व अन्य जरुरत के सामान की खरीद की जायेगी. सिविल सर्जन विभा सिंह ने सभी पीएचसी की वर्तमान स्थिति के संबंध में जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह द्वारा मांगी गयी रिपोर्ट को डीडीसी रिची पांडेय को सौंप दिया है.

इसके साथ ही अब जिला प्रशासन जरूरत के सारे सामानों को खरीदने की कवायद शुरू कर चुका है. बताया रहा है कि सभी ग्रामीण इलाकों में स्थित प्राथमिक अस्पताल में पहले चरण में आइसोलेशन वार्ड बनाया जायेगा और फिर उसे अपग्रेड कर उसमें आइसीयू बेड व वेंटिलेटर की व्यवस्था की जायेगी.

जानकारी के अनुसार, सिविल सर्जन द्वारा दी गयी रिपोर्ट में कई ऐसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का जिक्र किया गया है, जहां जगह नहीं है और उनकी हालत खास्ता है. बाढ़, घोसवरी आदि पीएचसी में पांच बेड का आइसोलेशन सेंटर बनाने की जगह भी नहीं है.

हालांकि रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि उक्त पांच बेड का आइसोलेशन सेंटर बाढ़ व घोसवरी में कहां बनाया जा सकता है ? सिविल सर्जन के माध्यम से जिला प्रशासन को दी रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश पीएचसी की हालत खस्ता है.

ऑक्सीजन लेवल सही करने की होगी व्यवस्था

जानकारी के अनुसार, कोरोना की तीसरे लहर आने की जो संभावना जतायी जा रही है, उसमें काफी कम समय है. इसके कारण किसी भी ग्रामीण इलाके के पीएचसी को तुरंत ही बेहतर अस्पताल बनाना संभव नहीं है.

इसलिए पहले चरण में आइसोलेशन सेंटर बनाया जा रहा है, ताकि वैसे मरीज जिनके ऑक्सीजन लेबल 90 से 93 के बीच हो तो उन्हें भर्ती कर उनका इलाज हो और उनका सही ऑक्सीजन लेवल वापस आ सके. अगर इसके बावजूद भी उनका ऑक्सीजन लेवल सही नहीं होता है और 90 के नीचे आयेगा तो एंबुलेंस से पीएमसीएच, एनएमसीएच, एम्स व आइजीआइएमएस में भर्ती कराया जायेगा़

2.54 करोड़ खर्च करने पर जतायी सहमति

ग्रामीण इलाकों के प्राथमिक अस्पतालों में स्थिति को बेहतर करने के लिए त्रिस्तरीय पंचायती राज में 15 वीं वित्त आयोग के तहत मिली राशि, पीएम केयर फंड, मुख्यमंत्री विकास योजना आदि से मिली राशि को खर्च करना है. क्षेत्र के विकास के लिए जिला परिषद को वित्तीय वर्ष 2021-22 में 15 वें वित्त आयोग के तहत पहली किस्त के रूप में 2.54 करोड़ मिल चुके हैं.

इसके साथ ही इतनी ही रकम दूसरी किस्त में भी मिलेगी. इसी प्रकार, ग्राम पंचायत को जिला पार्षद के लिए मिली राशि से सात गुना व पंचायत समिति को दोगुना राशि मिलेगी़ 15 वें वित्त आयोग की कुल राशि में 70 फीसदी ग्राम पंचायत को, पंचायत समिति को 20 फीसदी व जिला पार्षद को 10 फीसदी राशि दिये जाने का प्रावधान है. इसके अलावे पीएम केयर फंड, मुख्यमंत्री विकास योजना के तहत भी जिले को करोड़ों रुपये मिलते है.

इससे आसानी से ग्रामीण इलाके के स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति को ठीक किया जा सकता है. जिला परिषद् को मिली पहली किस्त की राशि को स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक करने में लगाये जाने को लेकर जिला परिषद अध्यक्ष अंजू देवी ने अपनी सहमति जतायी और कहा कि उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं है.

Posted by Ashish Jha

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