पटना. शहर के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) के इएनटी डिपार्टमेंट में शुक्रवार को डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस के तीन मरीजों का ऑपरेशन किया गया. हर ऑपरेशन दो-दो घंटे तक चला. इनमें 45 से 58 वर्ष तक के मरीज शामिल थे. तीनों मरीजों के ऑपरेशन के बाद नाक और मुंह से फंगस निकाला गया. मरीज फिलहाल वार्ड में भर्ती हैं. अब एंटी फंगल दवा देकर उन्हें ठीक किया जायेगा.
वहीं, यहां शुक्रवार की देर शाम एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि की गयी. उसे फंगस वार्ड में भर्ती कराया गया है. डॉ मनीष मंडल ने बताया कि संस्थान में कोविड पॉजिटिव कुल 10 मरीज ब्लैक फंगस के भर्ती हैं. आइजीआइएमएस, एम्स, पीएमसीएच समेत निजी अस्पतालों को मिलाकर ब्लैक फंगस के तकरीबन 60 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. इसके अलावा 25 मरीजों ने तो ऑनलाइन परामर्श लिया. शहर के तीन निजी अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं.
आइजीआइएमएस में कुल 32 में से 10 से अधिक का ऑपरेशन पहले हो चुका है. वहीं, एक मुजफ्फरपुर के निवासी पेशे से कवि बुजुर्ग मरीज की संस्थान परिसर में ही एंबुलेंस में मौत भी हो चुकी है. मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि गुरुवार को भी एक मरीज का ऑपरेशन किया गया था. पहले से जिन लोगों का ऑपरेशन हुआ है, अब उनकी सेहत में सुधार हो रहा है.
आइजीआइएमएस इएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राकेश कुमार सिंह ने बताया कि डायबिटिक या अनियंत्रित डायबिटीज वाले व्यक्ति, स्टेराॅयड दवा ले रहे व्यक्ति को या आइसीयू में अधिक समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है. ऐसे में धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर साफ-सफाई रख कर ब्लैक फंगस से बच सकते हैं.
आंख, नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या लाल तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द होना, चेहरे में एक तरफ सूजन होना, नाक, तालू काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतों का ढीला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकत्ते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में परिवर्तन आना.
Posted by Ashish Jha