बिहार के सीमावर्ती इलाके से होकर गुजने वाली नेपाली नदियां दुधौरा, तिलावे, बंगरी, सिकरहना (बूढ़ी गंडक) बांधों की मरम्मत नहीं होने के कारण इस वर्ष भी बारिश के मौसम में कोहराम मचाये तो आश्चर्य नहीं. इन नदियों के बाढ़ के कारण बंजरिया प्रखंड का 13 पंचायत वर्ष 2020 में खरीफ फसल उत्पादन के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन हुआ था.
हालात यह है कि जब बाढ़ आता व बांध टूटता है तब ही जिला या प्रखण्ड प्रशासन बांध मरम्मत कार्य करने चलती हैं. वर्ष 2020 में आयी बाढ़ में जो बांध क्षतिग्रस्त व कमजोर हुए वह अभी तक जैसे का तैसे है. फिर अब बरसात का समय करीब आ गया है और ग्रामीण जनता में पुनः इस वर्ष भी बाढ़ के खतरा का डर सताने लगा है. जब भी बाढ़ आता है और तटबंध टूटता है तो क्षेत्र में काफी तबाही मचाती है.
इधर जनवरी माह में ही सीओ मणिकुमार वर्मा द्वारा टूटे तटबंधों की सूची बनाक जिला को भेज दी गयी थी. बावजूद इसके अब तक बांध का मरम्मत कार्य नहीं हो सका. मनरेगा से सिर्फ एक जगह फुलवार दक्षिणी पंचायत के चितहां गांव में तिलावे नदी के तटबंध पर मिट्टी भरा गया है.
बता दें कि घोड़मरवा गांव में दुधौरा नदी का तटबंध बीते वर्ष 2020 व 2019 में आयी बाढ़ में 18 मीटर से अधिक टूट गया था, जो बांध अभी तक वैसे ही है. वही तिलावे नदी का बांध चितहां गांव में टूट गया था. तो वही फुलवार से गम्हरिया, चिचरोहिया लुक माई स्थान, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फुलवार बाजार, अजगरवा, सेमरहिया, नगदाहां, गम्हरिया में तिलावे नदी का बांध काफी कमजोर स्थिति में है. यही आलम बंगरी नदी के बांधो का है.
Posted By : Avinish Kumar Mishra