13.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नहीं रहे चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदर लाल बहुगुणा, ऋषिकेश एम्स में हुआ निधन, कोरोना से लड़ रहे थे जंग

देश के जाने-माने पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन (Chipko Movement) के प्रणेता सुंदर लाल बहुगुणा का आज निधन हो गया. कोरोना संक्रमण से जूझ रहे बहुगुणा ऋषिकेश एम्स में अपना इलाज करा रहे थे. लेकिन आखिरकार बीमारी की जटिलता के आगे वो जिंदगी की जंग हार गये. उनके निधन से पर्यावरण संरक्षकों के साथ पूरे देश में शोक है.

देश के जाने-माने पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन (Chipko Movement) के प्रणेता सुंदर लाल बहुगुणा का आज निधन हो गया. कोरोना संक्रमण से जूझ रहे बहुगुणा ऋषिकेश एम्स में अपना इलाज करा रहे थे. लेकिन आखिरकार बीमारी की जटिलता के आगे वो जिंदगी की जंग हार गये. उनके निधन से पर्यावरण संरक्षकों के साथ पूरे देश में शोक है. बतौर पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा देश विदेश में काफी विख्यात थे.

पीएम मोदी ने निधन पर जताया शोकः सुंदरलाल बहुगुणा की मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है. पीएम मोदी ने सुंदरलाल बहुगुणा की मौत को देश के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलि दी है. पीएम ने कहा उनके योगदानों को देश सदा याद करेगा.

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जताया दुखः गौरतलब है कि सुंदरलाल बहुगुणा की उम्र 94 साल थी. वो बीते 8 मई को कोरोना से संक्रमित हुए थे. जिसके बाद उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर गहरा दुख जताया है. उन्होंने कहा कि, सामाजिक सरोकारों और पर्यावरण के क्षेत्र में आई इस रिक्तता को अब कभी नहीं भरा जा सकेगा.

ऐसे बदल गई बहुगुणा की जिंदगीः पदमविभूषण और स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म 1927 को मरोड़ा गांव में हुआ था. 13 साल की उम्र में वो अमर शहीद श्रीदेव सुमन के संपर्क में आये ते. जिसके बाद से ही उनकी सोच बदल गई. और वो आजादी की जग में कूद पड़े.

चिपको आंदोलन के प्रणेता थे बहुगुणाः गौरतलब है सुंदरलाल बहुगुणा ने पर्यावरण बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी. 13 साल की उम्र में वे आजादी की लड़ाई का सिपाही बने, फिर गांधीजी से प्रभावित होकर राजनीति में आये. हालांकि कि 1954 में शादी के बाद उन्होंने राजनीति से सन्यास लेकर अपने गांव डिहरी आ बसे. पहले पहल उन्होंने गांव टिहरी के में शराब के खिलाफ मोर्चा खोला. फिर 1960 से पेड़ पौधों की सुरक्षा में लगे रहे. इसी दौरान उन्होंने चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी.

Also Read: S-400: चीन से तनाव के बीच भारत को रूस जल्द देगा दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार

Posted by: Pritish Sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें