कोरोना की दूसरी लहर युवाओं और बुजुर्गों के साथ ही बच्चों पर भी हमला कर रही है. कुछ समय में ही तीन साल से लेकर पंद्रह वर्ष के बच्चों में संक्रमण के नये मामले सामने आये हैं. इस स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते दो दिनों में ही 23 संक्रमित बच्चे मिल चुके हैं. इन दिनों औसतन रोजाना संक्रमित मरीजों में पांच फीसदी बच्चों में कोरोना होने की पुष्टि हो रही है.
परिजनों के अनुसार बुखार व खांसी की वजह से बच्चों की हालत बिगड़ी. इनमें से कुछ बच्चों को अस्पताल में भी दाखिल कराना पड़ा. इलाज के बाद बच्चे रिकवर भी हो रहे हैं. हालांकि अधिकतर बच्चों को होम आइसोलेशन में रखा गया. वह ठीक भी हो रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, कुछ बच्चों में संक्रमण ज्यादा अधिक देखने को मिला है. बच्चों में सर्दी, जुकाम, खांसी व बुखार आदि लक्षण दिखाई दे रहे हैं. लक्षण के आधार पर दवाई दी जा रही है. जिससे वह ठीक हो रहे हैं.
सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सनाउल मुस्तफा के मुताबिक बच्चों की इम्यूनिटी पावर ठीक होती है. इसलिए वह जल्दी रिकवर हो जाते हैं. एक वजह यह भी है कि गत वर्ष बच्चे घर से नहीं निकलते थे, लेकिन इस बार घर से बाहर निकले. बीच में कोचिंग भी खोले गये थे. जिस वजह से बच्चों में संक्रमण फैला था. इसके साथ ही बच्चों को हाथ सैनिटाइज करने या किसी से मिलने के बारे में नियमों का अधिक पता नहीं होता. बच्चों में कोमार्बिट जैसे डायबिटीज या हाइपरटेंशन जैसी समस्या नहीं होती है. इसीलिए बच्चों की रिकवरी क्षमता ज्यादा होती है.
बेलबनवा के किशोर कुमार, करमैनी मोहब्ब्त के राकेश साह, रेपुरा के अभय कुमार, मठिया दयाराम के सौरभ कुमार शुक्ला, परसौनी के विक्की तिवारी, पंचदेवरी के विकास जायसवाल, बरहिमा के मनीष कुमार, भागवत परसा के सूरज कुमार, रोहित कुमार सहित 23 बच्चे शामिल हैं.
-बच्चों को पानी पिलाते रहें.
-खाना ताजा और गर्म दे.
-ताजे फल और मौसमी खिलाएं.
-चिकित्सक की बताई दवा देते रहें.
-जूस की जगह फल दें.
-नींद ठीक से नहीं आना.
-कान में दर्द, खराब या धुंधला दिखना.
-कुछ मामलों में थकान पांच माह तक रह सकती है.
-जोड़ों, जांघों,सिर और पैरों में दर्ज हो सकता है.
-अचानक से मूड बदलना या स्पर्श या गंध की कमी.
Posted By: Avinish Kumar Mishra