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बिहार के बैंकों में लोन बांटने की गति हुई आधी, लॉकडाउन के कारण लक्ष्य पाना होगा मुश्किल

कोरोना संक्रमण की तेजी से बढ़ती रफ्तार रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है. इसका सीधा असर बैंकों के लोन बांटने के रफ्तार पर भी दिखने लगा है. बैंकों में बड़े लोन खासकर व्यवसायी से जुड़े लोन लेने और देने की रफ्तार धीमी पड़ गयी है.

पटना. कोरोना संक्रमण की तेजी से बढ़ती रफ्तार रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है. इसका सीधा असर बैंकों के लोन बांटने के रफ्तार पर भी दिखने लगा है. बैंकों में बड़े लोन खासकर व्यवसायी से जुड़े लोन लेने और देने की रफ्तार धीमी पड़ गयी है. सामान्य दिनों की तुलना में खासकर नये लोन में 50 फीसदी की कमी आयी है.

इसका सीधा असर बैंकों के एसीपी (वार्षिक साख योजना) यानी सालाना लोन बांटने के लक्ष्य पर भी पड़ेगा. पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान भी एक लाख 54 हजार करोड़ रुपये का एसीपी के तहत लक्ष्य बैंकों को दिया गया था. इसमें 55 प्रतिशत यानी करीब आठ हजार 400 करोड़ रुपये ही उपलब्धि हासिल हुई थी. इसकी मुख्य वजह पिछले वर्ष नौ महीने लॉकडाउन लगा रहना है.

इस दौरान सभी व्यावसायिक गतिविधि ठप पड़ गयी थी. इन कारणों से बैंकों को लोन खासकर उद्योग, कृषि समेत अन्य प्राथमिकता वाले सेक्टर में ऋण बांटने का स्कोप काफी कम हो गया. इस बार भी स्थिति ऐसी ही बन रही है. जब लॉकडाउन जैसी स्थिति नहीं थी, तो राज्य का औसतन एसीपी 85 प्रतिशत तक रहता था.

वित्तीय वर्ष 2019-20 में एक लाख 45 हजार करोड़ के लक्ष्य में 73 प्रतिशत, 2018-19 में एक लाख 30 हजार करोड़ के लक्ष्य में 85 प्रतिशत, 2017-18 में एक लाख 10 हजार करोड़ के लक्ष्य में 91 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 2016-17 में एक लाख करोड़ के लक्ष्य में 88 प्रतिशत उपलब्धि हासिल हुई थी.

एक लाख 54 हजार करोड़ रुपये लोन बांटने का लक्ष्य

इस बार भी पिछले वित्तीय वर्ष की तरह ही एक लाख 54 हजार करोड़ रुपये का लोन बांटने का लक्ष्य बैंकों को दिया गया है. हालांकि, इस बार लॉकडाउन उनता लंबा नहीं चलेगा. इस बार उद्योग और निर्माण सेक्टर को लॉकडाउन से बाहर रखा गया है.

इन वजहों से इस बार एसीपी पर बहुत असर पड़ने की संभावना नहीं है. हालांकि, चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही की रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी कि एसीपी में कितने की गिरावट आयी है. संभावना है कि पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले इस बार एसीपी की स्थिति थोड़ी बेहतर रहेगी.

Posted by Ashish Jha

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