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कोरोना वैक्सीन की जगह ट्रायल में दिया गया था स्लाइन, अब पटना एम्स ने करीब एक हजार लोगों को दोबारा टीका लेने बुलाया

पटना एम्स में करीब दो हजार लोग वैक्सीन ट्रायल में शामिल हुए थे. यह तीन फेज में हुआ था. उनमें से 50 प्रतिशत यानी करीब एक हजार लोगों को प्लेसिबो (एक तरह का स्लाइन) दिया गया था. यह ट्रायल की ही एक प्रक्रिया है. लेकिन अब ऐसे लोगों को दोबारा से वैक्सीन लेना होगा. एम्स पटना प्रशासन के द्वारा ऐसे लोगों को फोन कर वैक्सीनेशन के लिए बुलाया भी जा रहा है.

लअमित कुमार, पटना एम्स में करीब दो हजार लोग वैक्सीन ट्रायल में शामिल हुए थे. यह तीन फेज में हुआ था. उनमें से 50 प्रतिशत यानी करीब एक हजार लोगों को प्लेसिबो (एक तरह का स्लाइन) दिया गया था. यह ट्रायल की ही एक प्रक्रिया है. लेकिन अब ऐसे लोगों को दोबारा से वैक्सीन लेना होगा. एम्स पटना प्रशासन के द्वारा ऐसे लोगों को फोन कर वैक्सीनेशन के लिए बुलाया भी जा रहा है. वहीं, 50 प्रतिशत लोग ऐसे भी थे जिन्हें सही वैक्सीन दिया गया था. उन्हें दोबारा वैक्सीन लेने की जरूरत नहीं है. उन्हें फोन नहीं किया जायेगा. यह डाटा गुप्त रखा जाता है और यह पटना एम्स के पास है.

लोगों ने उत्साह के साथ लिया था हिस्सा 

ट्रायल इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर), दिल्ली व नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी(एनआइवी) के द्वारा किया गया था. यहां कोवैक्सिन का ट्रायल किया गया था. देश भर में 21 सेंटर थे, जिसमें एक बिहार का पटना एम्स भी शामिल था. यहां के लोगों ने बढ़चढ़ कर देश हित में वैक्सीन ट्रायल में भाग लिया था. वैक्सीन देने के बाद से आधे घंटे तक उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा गया था.

ट्रायल में शामिल कुछ लोग थे असमंजस में

वैक्सीन ट्रायल में कुछ लोग इसको लेकर असमंजस में थे. जब पटना एम्स के द्वारा उन्हें फोन कर दोबारा वैक्सीन के लिए बुलाया गया तो वे परेशान हो गये. उन्हें लगा कि वे वैक्सीन तो ले चुके हैं. लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि उन्हें सिर्फ स्लाइन दिया गया है. ऐसे कई लोग यह सोच खुश थे कि उन्हें तो वैक्सीन पड़ चुकी है और अब दोबारा वैक्सीन लेने की जरूरत नहीं है. इस वजह से कुछ लोग इस दौरान महाराष्ट्र और दूसरे प्रदेशों से भी घूमकर आ गये.

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ट्रायल में 50 प्रतिशत को ही दिया जाता है वैक्सीन

ट्रायल के दौरान टीका लिए लोगों को लगा कि वे सुरक्षित हैं. लेकिन जब उन्हें पता चला कि सिर्फ 50 प्रतिशत को ही वैक्सीन दिया जाता है और 50 प्रतिशत को स्लाइन. और वे स्लाइन लेने वालों में हैं, उनके होश उड़ गये. चूंकि वैक्सीन देने के दौरान ये बातें गुप्त रखी जाती हैं, उन्हें नहीं बतायी गयी थी. जिन्हें स्लाइन दिया गया था उन्हें दोबारा वैक्सीनेशन की जरूरत है. इसलिए उन्हें बुलाया जा रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी

जिन लोगों ने वैक्सीन ट्रायल के दौरान वैक्सीन का डोज लिया था, उसमें आधे लोगों को स्लाइन और आधे लोगों को वैक्सीन दिया गया था. यह ट्रायल की ही एक प्रक्रिया है. यह गुप्त रखा जाता है और दोनों को दिये गये डोज के आधार पर स्टडी होता है. जिन्हें स्लाइन दिया गया है, सिर्फ उन्हें ही दोबारा वैक्सीन दिया जायेगा. इसकी सूचना उनके पास जा रही है और एक-एक कर बुलाकर उन्हें वैक्सीन दिया जा रहा है. बाकी को दोबारा वैक्सीन लेने की जरूरत नहीं है.

डॉ संजीव कुमार, नोडल पदाधिकारी, कोविड वार्ड, पटना एम्स

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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