राजदेव पांडेय, पटना. बिहार के जाने-माने बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डॉ बीरेंद्र प्रसाद का दावा है कि बिहार में कोरोना का पीक 10 दिनों में आ जायेगा. इसके बाद इसकी संक्रमण दर घटने लगेगी. डॉ बीरेंद्र का कहना है कि बिहार में कोरोना संक्रमण की दर घटने का मतलब यह नहीं होगा कि वह हमेशा के लिए खत्म हो जायेगा. लेकिन, उसकी मारक क्षमता बेहद कमजोर हो जायेगी.
डॉ बीरेंद्र ने साफ किया कि बिहार में चूंकि संक्रमण दर ज्यादा है. इसलिए दुखदायी मौतें हो रही हैं. हालांकि, अन्य राज्यों से तुलना करें, तो हमारे यहां कोरोना का घातक म्यूटेंट नहीं है. उनका दावा है कि बिहार में कोरोना वायरस के नये म्यूटेंट की संक्रमण दर जरूर ज्यादा है.
उन्होंने साफ किया कि जैसे ही हमारा शरीर इस कोरोना वायरस को पहचान लेगा, यह दूसरे वायरस की तरह हो जायेगा. इसका नुकसान कम हो जायेगा. हमारे शरीर की हर्ड इम्युनिटी कम-से-कम एक साल तक दीवार बनी रहेगी. हालांकि, इस संबंध में अभी अंतिम रूप से नहीं कहा जा सकता है.
डॉ बीरेंद्र के मुताबिक वैक्सीनेशन कोरोना का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है. दो वैक्सीन लेने के बाद यह कोरोना जानलेवा नहीं रह जायेगा. बशर्तें, मरीज को कोई दूसरी भयंकर बीमारी नहीं हो. कोरोना की तीसरी लहा के बारे में उन्होंने कहा कि अभी ज्यादा कहना संभव नहीं है, लेकिन वैक्सीनेशन तीसरी लहर को निर्मूल कर देगा.
पटना एम्स के ट्रॉमा एंड इमरजेंसी विभाग के प्रमुख प्रो अनिल कुमार का कहना है कि इस बार कोरोना की सबसे विलक्षण बात यह देखी जा रही है कि यह बच्चों को भी संक्रमित कर रहा है. ऐसा पहली लहर में नहीं देखा गया था. केस स्टडी बताती है कि इस बार कोरोना की पहचान बुखार, खांसी, जुकाम आदि के अलावा पाचन क्रिया में गड़बड़ी, उल्टी, दस्त के जरिये भी हो रही है. इस बार कोरोना बीमार और बुजुर्गों के प्रति ज्यादा घातक साबित हो रहा है.
डॉ अनिल का दावा है कि सामान्य हवा में यह वायरस नहीं है. हां, यह है कि प्रदूषित हवा के धूल के ठोस कणों पर यह चिपका रह सकता है. सामान्य से कुछ ज्यादा समय तक यह हवा में रह सकता है. मास्क का उपयोग करके इस वायरस के शरीर में प्रवेश को रोक सकते हैं. सबसे अहम यह है कि मास्क नाक और मुंह को पूरी तरह ढके होना चाहिए. डॉ अनिल का दावा है कि बिहार में काम कर रहा कोरोना का म्यूटेंट सुपर बहुत तेजी से संक्रामक प्रकृति का है.
Posted by Ashish Jha