मसौढ़ी. अनुमंडल अस्पताल में इमरजेंसी सेवा के लिए पूर्व से ही 50 बेड के लिए ऑक्सीजन के 50 सिलिंडरों को एक साथ पाइप लाइन के सहारे शुरू करने की योजना वर्षों पहले बनी थी. लेकिन इस पर ध्यान ही नहीं दिया गया.
इस योजना के तहत अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर व पहले तल पर एक साथ पाइप लाइन के सहारे 50 बेड के मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की सुविधा का प्रावधान है. बीते दिनों इस पर काम शुरू हुआ और दीवार में पाइप लाइन व रेगुलेटर भी लगा दिया गया. लेकिन इसे सिलिंडर से नहीं जोड़ा जा सका और एक सप्ताह पूर्व काम भी बंद हो गया.
नतीजतन 50 बेडों को पाइप लाइन के सहारे एक साथ ऑक्सीजन आपूर्ति करने की योजना धरी रह गयी है. जबकि कोरोना संक्रमण के इस दौर में ऑक्सीजन सिलिंडर की कितनी आवश्यकता है, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है. जानकार बताते हैं कि इस पाइप लाइन योजना को चालू करने के लिए मात्र चंद घंटों की जरूरत है. गौरतलब है कि इसके लिए 50 सिलिंडर भी वहां पूर्व से उपलब्ध हैं.
सिविल सर्जन डाॅ विभा कुमारी सिंह ने बताया कि अनुमंडल अस्पताल में गैस पाइप लाइन का काम दूसरे विभाग का है. अस्पताल की उपाधीक्षक ने इस संबंध में उनसे कोई पत्राचार नहीं किया है. उनके द्वारा पत्राचार करने पर वे अपने विभाग के वरीय अधिकारी के माध्यम से विभाग को इसकी जानकारी देंगी.
इधर जिला प्रशासन के आदेश पर मसौढ़ी में दो जगहों पर कोविड केयर सेंटर (आइसोलेशन सेंटर) बनाया गया है. एक अनुमंडल अस्पताल में 25 बेड का और दूसरा शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय की बालिका छात्रावास में 75 बेड का. अनुमंडल अस्पताल में बने कोविड सेंटर तो किसी प्रकार चल रहा है. हालांकि चिकित्सकों व ऑक्सीजन सिलिंडर के अभाव में केवल इस कोविड सेंटर में कोविड व जनरल इमरजेंसी के मात्र 18 मरीज ही भर्ती हैं.
शेष सात बेड ऑक्सीजन सिलिंडर के अभाव में खाली पड़े हैं और मरीज अस्पताल से बैरंग लौट रहे हैं. अस्पताल की उपाधीक्षक डाॅ संजीता रानी ने बताया कि पर्याप्त चिकित्सक व ऑक्सीजन सिलिंडर के अभाव में अन्य मरीजों को भर्ती करना संभव नहीं है. दूसरी ओर शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय की छात्रावास में 75 बेड का स्थापित आइसोलेशन सेंटर (कोविड केयर सेंटर) तो अब तक चालू ही नहीं हो सका है.
बताया जाता है कि चिकित्सकों व ऑक्सीजन सिलिंडर के अभाव में इसे चालू करना संभव नहीं हो पा रहा है. इधर ऑक्सीजन सिलिंडर के जरूरतमंद मरीज ऑक्सीजन के लिए राजधानी के अस्पतालों का चक्कर काटने को मजबूर हैं.
Posted by Ashish Jha