पटना. प्रदेश के सभी नौ मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए पीएसए (प्रेशर स्विंग एडजोर्प्सन) प्लांट लगाने की तैयारी है. सोमवार को केंद्र और राज्य के अफसरों की संयुक्त उच्चस्तरीय मीटिंग में निर्णय लिया गया. प्रधानमंत्री केयर फंड से यह व्यवस्था की जा रही है. केंद्र के अफसरों ने इस संबंध में राज्य सरकार को अवगत करा दिया है.
सूत्रों के मुताबिक अभी सिर्फ एनएमसीएच में बहुत छोटी क्षमता का यह प्लांट संचालित था. अब इसकी क्षमता में कई गुना इजाफा करते हुए प्रदेश के अन्य सभी आठों मेडिकल कॉलेजों में स्थापित कर दिये जायेंगे. यह केवल एक माह के अंदर कर दिया जायेगा.
विशेषज्ञों के मुताबिक अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाइ करने के लिए पीएसए ऑक्सीजन प्लांट एक तकनीक का इस्तेमाल करता है. यह तकनीक अपने आसपास की हवा से नाइट्रोजन को अवशोषित करके उसे कॉन्सनट्रेटेड ऑक्सीजन में बदलती है.
इस तरह के प्लांट मेडिकल ऑक्सीजन के मौजूदा संकट को न केवल खत्म कर देंगे, बल्कि स्थायी तौर पर संकट की स्थिति बनने नहीं देंगे. इसके अलावा प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों एवं आइजीआइएमएस में मेडिकल ऑक्सीजन को स्टोरेज करने के लिए टैंक स्थापित किये जा रहे हैं. इनके स्थापित करने वाली साइट का सत्यापन कर लिया गया है.
प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन के तीन प्लांट इसी हफ्ते चालू होने की पूरी उम्मीद है. इसमें बिहटा और फतुहा में वातावरण में ऑक्सीजन लेकर उसे मेडिकल ऑक्सीजन में तब्दील किया जायेगा. समस्तीपुर का प्लांट लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन को गैस फॉर्म में तब्दील करेगा.
उद्योग विभाग के तकनीकी निदेशक पंकज दीक्षित ने बताया कि उम्मीद है कि सभी यूनिट एक हफ्ते में चालू हो जायेंगी. मेडिकल ऑक्सीजन की पूरे प्रदेश में मांग के अनुरूप आपूर्ति हो रही है. सारे बॉटलिंग/रिफलिंग प्लांट चालू हैं. सरप्लस ऑक्सीजन नहीं है. हालांकि बहुत जल्द हम इस स्थिति में आ जायेंगे.
पंकज दीक्षित ने बताया कि प्रदेश में पिछले चार दिनों में 193 से 194 मीटरिक टन के बीच मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है. इसमें 34 मीटरिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रदेश के अंदर की ही यूनिटों से हो रही है. शेष करीब 159 टन ऑक्सीजन प्रदेश के बाहर से केंद्रीय कोटे से हासिल हो रही है.
Posted by Ashish Jha