नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का सपना देखा है. यह योजना भी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना है. इस योजना के तहत ग्रामीणों की आवासीय संपत्ति के अभिलेख में ब्योरा दर्ज किया जायेगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया को बढ़ाने के लिए ग्रामीण स्वामित्व योजना की शुरुआत पिछले माह ही की है.
प्रधानमंत्री ने योजना की शुरुआत करने के साथ एक लाख प्रॉपर्टी मालिकों को प्रॉपर्टी कार्ड भी बांटे. साथ ही ई-ग्राम स्वराज पोर्टल की भी शुरुआत की है. गांव में रहनेवाले ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने में स्वामित्व योजना कारगर और मददगार साबित हो सकती है.
प्रॉपर्टी कार्ड के जरिये लाभार्थी ई-ग्राम स्वराज पोर्टल के जरिये फिजिकल कॉपी के साथ-साथ डिजिटल संपत्ति कार्ड भी डाउनलोड कर सकते हैं. ग्रामीण इलाकों में घरों के मालिकों के मालिकाना हक का रिकॉर्ड रखनेवाली इस योजना के तहत प्रॉपर्टी से जुड़े विवादों के साथ-साथ भूमि रिकॉर्ड भी तैयार किया जा रहा है.
सरकार की योजना है कि मार्च 2024 तक देश के करीब छह लाख से ज्यादा गांवों में यह सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. इससे भूमि रिकॉर्ड से संपत्ति संबंधी विवादों को कम करने और वित्तीय तरलता को बढ़ावा मिलेगा. योजना के जरिये राजस्व संग्रह को सुव्यवस्थित और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रॉपर्टी राइट्स पर स्पष्टता सुनिश्चित की जायेगी.
देश की करीब 60 फीसदी आबादी गांवों में निवास करती है. पुरानी व्यवस्था के तहत अधिकतर ग्रामीणों के पास अपनी ही जमीन के मालिकाना हक के दस्तावेज नहीं है. वहीं, पुरानी व्यवस्था के कारण मालिकाना हक से जुड़े कागज भी नहीं बन सके हैं. ग्रामीण क्षेत्रों की खेतिहर जमीन का रिकॉर्ड तो रखा गया, लेकिन घरों पर ध्यान नहीं दिया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी के कारण लगाये गये लॉकडाउन के बीच ही राष्ट्रीय पंचायत दिवस के दिन स्वामित्व योजना की शुरुआत की थी. योजना के तहत गांवों की संपत्ति की मैपिंग करने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जायेगा और ग्रामीणों को मालिकाना प्रमाणपत्र दिया जायेगा. साथ ही विकास की योजनाएं बनायी जा सकेंगी.
स्वामित्व योजना के तहत प्रॉपर्टी कार्ड हासिल कर लेने के बाद लाभुक ग्रामीण शहरों की तरह गांवों में भी बैंक के जरिये लोन ले सकते हैं. इससे वित्तीय तरलता को बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भर बनने व जीवनस्तर सुधारने में ग्रामीणों को काफी मदद मिलेगी.
साथ ही संपत्तियों को कर संग्रह के दायरे में भी लाया जा सकेगा. इससे होनेवाली आमदनी से पंचायतें अपने ग्रामीण क्षेत्र में विकास के साथ-साथ गांवों में बेहतर और कारगर सुविधाएं दे सकेंगी. मालिकाना हक का निर्धारण होने से संपत्ति की कीमतों में भी तेजी आने की संभावना है.
ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन सर्वेक्षण से ग्राम पंचायत के पास गांव का सटीक रिकॉर्ड और मानचित्र होगा. इसका उपयोग कर वसूली, भवन निर्माण के लिए परमिट जारी करने और अवैध कब्जा खत्म करने में किया जा सकता है.
हालांकि, इस योजना की पायलट शुरुआत उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में की गयी है. मालूम हो कि बिहार के कई जिलों में सर्वे का काम तेजी से चल रहा है.
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