कोरोना के तेजी से बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बिहार में नीतीश सरकार ने सूबे में दस दिनों के लिए लॉकडाउन लागू कर दिया है. राज्य सरकार की ओर से लॉकडाउन लगाने की कार्रवाई को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, पटना मेडिकल कॉलेज व एनएमसीएच आदि के डॉक्टरों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. उनमें ऐसी उम्मीद है कि इस लॉकडाउन से कोरोना संक्रमण के चेन को तोड़ने में मदद मिलेगी.
संपूर्ण लॉकडाउन की मांग सूबे में काफी पहले से उठ रही थी. पटना हाइकोर्ट ने भी राज्य सरकार का ध्यान इस तरफ लाया था और स्पस्ट शब्दों में यह जानाकारी मांगी थी कि राज्य सरकार लॉकडाउन को लेकर क्या कदम उठाने वाली है. वहीं एम्स व एमआईए के डॉक्टर भी काफी पहले से सरकार से पूरे राज्य में लॉकडाउन लगाने की मांग कर रहे थे.
एमआईए की मांग लॉकडाउन को लेकर तेज हो चुकी थी. मौजूदा स्थिति यह है कि पटना सहित सूबे के अन्य जिलों में बड़ी तादाद में डॉक्टर भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. डॉक्टरों का भी यह कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर इतनी तेजी से फैली है कि फिलहाल एक छोटे अवधि का लॉकडाउन लागू करना बेहद जरूरी था. संक्रमण फैलने से आम लोग परेशान हो चुके थे. ऐसे में यही एकमात्र विकल्प था.
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वहीं लॉकडाउन के इस फैसले का कई उद्योगों ने भी स्वागत किया है और इसे सख्ती से पालन कराने की अपील भी बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने की है. एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने सरकार से अपील किया है कि लॉकडाउन की वजह से किसी चीज की कालाबाजारी नहीं हो, इसका ध्यान रखना जरुरी है. वहीं लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था कमजोर होने के भी आसार हैं लेकिन सूबे में लोगों की जा रही जानें अभी लॉकडाउन से काफी हद तक कम हो सकती है, इसलिए इसका स्वागत किया गया है. बिहार में कोरोना के चेन को तोड़ने के लिए लॉकडाउन लगा तथा Hindi News से जुड़ी हर अपडेट के लिए बने रहे हमारे साथ।
POSTED BY: Thakur Shaktilochan