नयी दिल्ली : देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना (Coronavirus) के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) लगातार नजर रख रहा है. 18 से ऊपर के लोगों को वैक्सीन (Corona Vaccine) लगाने की बात पर कोर्ट ने केंद्र सरकार (Central Government) को कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय टीकाकरण मॉडल अपनाना चाहिए, क्योंकि गरीब टीके का मूल्य चुकाने में सक्षम नहीं होंगे. वहीं, कोर्ट ने केजरीवाल सरकार (Arvind Kejriwal) को फटकार लगाते हुए कहा कि केंद्र के साथ सहयोग करें, अभी राजनीति का समय नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि कोई राजनीतिक झमेला नहीं होना चाहिए, दिल्ली सरकार को कोविड-19 की स्थिति से उबरने के लिए केंद्र के साथ सहयोग करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि राजनीति चुनाव के लिए है, मानवीय संकट के इस समय में हर जिंदगी पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है. बता दें कि दिल्ली में ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी पर कोर्ट लगातार सरकार से सवाल पूछ रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि स्थिति बहुत ही भयावह है. यहां तक कि डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को भी अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल रहे हैं, स्थिति खराब है. छात्रावास, मंदिर, गिरिजाघर और अन्य स्थानों को कोविड-19 मरीज देखभाल केंद्र बनाने के लिए खोले जाएं. कोर्ट ने कहा कि हम इस बात से सहमत हैं कि गत 70 साल के दौरान विरासत में जो हमें स्वास्थ्य अवसंरचना मिली, वह पर्याप्त नहीं है.
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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केंद्र और राज्य सरकारें निरक्षरों का वैक्सीन पंजीकरण कैसे करायेंगी. उनके पास न तो मोबाइल है और न ही इंटरनेट. देश की एक बड़ी आबादी ऐसी है. कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय टीकाकरण नीति का पालन किया जाना चाहिए. पूछा कि केंद्र ही वैक्सीन की 100 फीसदी खुराक क्यों नहीं खरीद लेती. गरीब लोग टीके का मूल्य कैसे चुका पायेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारों को पूर्वाग्रह से बचना चाहिए. सूचना के प्रसारण पर रोक लगाना उचित नहीं है. कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 पर सूचना के प्रसार पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए. कोविड-19 संबंधी सूचना पर रोक अदालत की अवमानना मानी जायेगी, इस सबंध में पुलिस महानिदेशकों को निर्देश जारी किए जाएं. सूचनाओं का मुक्त प्रवाह होना चाहिए, हमें नागरिकों की आवाज सुननी चाहिए. इस बारे में कोई पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए कि नागरिकों द्वारा इंटरनेट पर की जा रही शिकायतें गलत हैं.
Posted By: Amlesh Nandan.