Corona second wave : कोरोना महामारी की दूसरी लहर में वायरस डबल म्यूटेंट होकर पहली लहर से ज्यादा खतरनाक हो रहा है. ऐसे में, सबके मन में इसके ताकतवर होने के तरीकों के बारे में जानने की ललक ज्यादा है. आइए, जानते हैं कि कोरोना वायरस म्यूटेशन को लेकर पूछे गए सवालों का क्या जवाब देते हैं नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल…
तकनीकी रूप से सभी स्ट्रेन एक है, जबकि वायरस को समझने के लिए वैरिएंट या वायरस की वंशावली अधिक बेहतर शब्द कहा जा सकता है.
जी हां, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. जब से उनकी उत्पत्ति हुई, मानव शरीर की इम्यूनिटी में भी म्यूटेशन होता रहता है.
अभी तक इसकी कोई प्रमाणित जानकारी नहीं है. अभी पुष्टि करने के लिए पर्याप्त परिणाम आने बाकी हैं.
भारत के कई राज्यों में म्यूटेंट की वजह से कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. जैसे कि दिल्ली एनसीआर और पंजाब में म्यूटेंट बी. 1.1.7, और महाराष्ट्र के कुछ जिलों और दिल्ली में म्यूटेंट बी.1.617 का प्रभाव देखा गया, लेकिन मरीजों पर म्यूटेड वायरस का अधिक गंभीर असर नहीं देखा गया. संक्रमण के अधिक मरीज होने की वजह से स्वास्थ्य सुविधा का ढांचा गड़बड़ा गया है. इसलिए ऐसे मरीजों की भी मौत हो रही है, जिनका जीवन बचाया जा सकता है.
हां, भारत ने म्यूटेशन को ट्रैक कर लिया था. इससे हम भविष्य में होने वाले खतरों को लेकर बेहतर तरीके से तैयार और सर्तक हो पाए.
हम इस तरह की स्थिति को आसानी से समझने के लिए कई बार गलत शब्दों का प्रयोग करते हैं. वर्तमान में, सभी वेरिएंट के कई म्यूटेशन हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही विशेष होते हैं.
नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, लेकिन कुछ वैक्सीन को रिडिजाइन या बदलाव जरूरी होता है. उदाहरण के लिए ई484के म्यूटेंट की वैक्सीन में बदलाव की जरूरत है.
हां, सभी तरह की वैक्सीन बीमारी के गंभीर संक्रमण से रक्षा करती हैं.
क्योंकि हममें से अधिकांश लोग जीनोमिक विज्ञान को नहीं समझते हैं.
कार को बेहतर बदलाव के लिए परिवर्तित किया जाता है, जबकि नए म्यूटेंट के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है. इसलिए दोनों की तुलना नहीं की जा सकती.
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Posted by : Vishwat Sen