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कोरोना महामारी में चली गयी थी नौकरी, लेकिन पॉजिटिव सोच के साथ ऐसे बदली गुमला के विजय ने अपनी जिंदगी

विजय उरांव सिंगल विंडो सेंटर में काम करता था. डेढ़ साल पहले सरकार ने प्रोजेक्ट बंद कर दिया तो वह बेरोजगार हो गया था. इसके बाद कृषि विज्ञान केंद्र विकास भारती बिशुनपुर से जुड़ कर विजय उरांव ने तीन एकड़ खेत में खेती-बारी शुरू की. अब खेती-किसानी ही उसकी जिंदगी बन गयी है.

विजय उरांव सिंगल विंडो सेंटर में काम करता था, डेढ़ साल पहले सरकार ने प्रोजेक्ट बंद कर दिया तो बेरोजगार हो गया था

कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़ कर विजय उरांव ने तीन एकड़ खेत में खेती-बारी शुरू की. अब खेती-किसानी ही जिंदगी बन गयी है

Gumla News, Jharkhand News, job loss due to covid-19 in india गुमला : बिशुनपुर प्रखंड के भंवरागानी गांव के विजय उरांव (35 वर्ष) की नौकरी चली गयी. नौकरी जाने के बाद अब आगे कैसे जीयेंगे, यह सवाल खड़ा हो गया, लेकिन विजय हताश व निराश नहीं हुआ. पॉजिटिव सोच के साथ उन्होंने खेती किसानी शुरू की. खेती किसानी ने आज उसकी जिंदगी बदल दी. वह एक सफल किसान बन गया. डेढ़ साल पहले तीन एकड़ खेत में उसने खेती-बारी शुरू की. मौसम के अनुसार वह खेती कर रहा है. खेती-बारी से उसके घर की आर्थिक स्थिति सुधर गयी.

विजय उरांव सिंगल विंडो सेंटर में काम करता था. डेढ़ साल पहले सरकार ने प्रोजेक्ट बंद कर दिया तो वह बेरोजगार हो गया था. इसके बाद कृषि विज्ञान केंद्र विकास भारती बिशुनपुर से जुड़ कर विजय उरांव ने तीन एकड़ खेत में खेती-बारी शुरू की. अब खेती-किसानी ही उसकी जिंदगी बन गयी है.

युवाओं को खेती के लिए कर रहा प्रेरित

बिशुनपुर प्रखंड के भंवरागानी गांव जंगल व पहाड़ों के बीच स्थित है. यहां रोजगार का कोई साधन नहीं है. गरीबी के कारण कई युवा पढ़ाई-लिखाई छोड़ कर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए पलायन कर जाते हैं. भंवरागानी गांव जिस तरह का इलाका है. इस क्षेत्र में युवाओं के मुख्यधारा से भटकने का डर बना रहता है.

गांव की दुर्दशा व बेरोजगारी को देखते हुए विजय उरांव गांव के बेरोजगार युवाओं को खेती-बारी करने के लिए प्रेरित कर रहा है. कई युवा विजय की बात से प्रभावित होकर खेती-बारी कर रहे हैं. वहीं कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा खेती-बारी में रुचि रखने वाले युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

बुलंद हौसले से इतिहास रच रहा है : डॉ संजय :

कृषि विज्ञान केंद्र गुमला के वरीय वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार पांडे ने कहा कि सुदूरवर्ती गांव भंवरागानी जो कि चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है. इस गांव के विजय उरांव ने अपने बुलंद हौसले से इतिहास रच रहा है. नौकरी जाने के बाद भी वह हार नहीं माना. खेती-बारी कर अपनी अलग पहचान डेढ़ साल में बना ली. तीन एकड़ में व्यावसायिक सब्जियों की खेती की है. जिसमें लौकी, कोहड़ा, मिर्चा, बैगन इत्यादि सब्जी है.

विजय उरांव इस क्षेत्र के लिए एक उदाहरण है. इस क्षेत्र में पहले सब्जी ना के बराबर होती थी. लेकिन आज उन्होंने इसे व्यवसाय के रूप में शुरू करने के साथ अन्य युवाओं का रुझान भी खेती की तरफ बढ़ रहा है, जो कि इस क्षेत्र के लिए काफी सकारात्मक पहल है.

Posted By : Sameer Oraon

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