कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट ने सुधार-गृह यानी जेलों में बंद मानसिक रूप से बीमार कैदियों के संबंध में विवरण तलब किया है. सुधार गृह में मौजूद मानसिक रूप से बीमार मुजरिमों, गैर-मुजरिमों व विचाराधीन कैदिंयों की हालत को देखते हुए कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी है. हाइकोर्ट की न्यायाधीश शम्पा सरकार के नेतृत्ववाली खंडपीठ में मेंटल हेल्थ और मेंटल हेल्थकेयर और बंगाल व अंडमान-निकोबार के सुधार-गृह में कैद अपराधियों व विचाराधीन बंदियों के संदर्भ में दिये गये सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में सुनवाई कर रही थी.
मामला गत 24 मार्च को मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक निर्णय में एक रिट याचिका के रूप में दर्ज किया गया था. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन ने न्यायाधीश शम्पा सरकार को तत्काल स्वत: संज्ञान ( सुओ मोटो केस) मामले के लिए नामित किया. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को निर्देश दिया कि वह अदालत को यह बतायें कि क्या केंद्र सरकार ने किसी विशेष योजना या इससे जुड़े मुद्दों पर दिशानिर्देश दिये हैं. इसके अलावा कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि संबद्ध सुधार-गृहों के अधीक्षक वर्तमान सुधार-गृहों में मौजूद कैदियों की संख्यावार रिपोर्ट तैयार करके कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें.
अब हाइकोर्ट के राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से एक रिपोर्ट तैयार की जायेगी, जिसमें पश्चिम बंगाल के मनोरोगी कैदियों के संस्थागत उपचार के लिए सरकारी व निजी अस्पतालों की सूची होगी. हाल में कलकत्ता हाइकोर्ट के आदेश पर एक नेपाली कैदी को रिहा किया गया है. उसने लगभग 41 साल जेल में गुजार दिये.
Also Read: WB Chunav 2021: अब अधीर रंजन चौधरी ने लिया फैसला, अगले दो दिन तक नहीं करेंगे एक भी रैली
Posted By: Aditi Singh