पटना. बिहार प्रदेश में समर्थन मूल्य पर दलहन खरीद को झटका लगा है़ दरअसल दलहन का स्वतंत्र बाजार में बाजार मूल्य समर्थन मूल्य से अधिक है़ यही वजह है कि दलहन बेचने के लिए अभी तक केवल 16 किसानों ने पंजीयन कराया है़ यही वजह है कि अभी तक केवल डेढ़ क्विंटल दलहन की खरीद हो सकी है़
नैफेड की तरफ से प्रदेश में दलहन की खरीद 15 अप्रैल से प्रारंभ हुई है़ खरीद के लिए भोजपुर जिले में आरा,पटना में दीघा और बाढ़ , जहानाबाद, नालंदा में बिहारशरीफ और लखीसराय में सेंटरों पर कुल 18 किसानों ने मसूर बेचने के लिए पंजीयन कराया है़
आरा में एक,दीघा और बाढ़ में क्रमश: तीन और चार, जहानाबाद में पांच, बिहारशरीफ में एक और लखीसराय में चार किसानों ने पंजीयन कराया है. हालांकि दीघा सेंटर पर अभी तक डेढ़ क्विंटल और जहानाबाद में पचास किलोग्राम मसूर की खरीद हुई है़
उल्लेखनीय है कि सरकार को चना और मसूर उत्पादक किसानों से बड़ी उम्मीद थी़ प्रदेश के सभी 38 जिलों में 71 खरीदी सेंटर और गोदाम तय किये हैं. समर्थन मूल्य पर 5100 रुपये प्रति क्विंटल खरीदी की जानी है़ आधिकारिक जानकारी के मुताबिक चना की खरीद का 14350 टन और मसूर की 32175 टन खरीद का लक्ष्य तय किया गया था़
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार के विशेष आग्रह पर केंद्र ने चना और मसूर के समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए अनुमति दी थी़ दरअसल राज्य सरकार की मंशा थी कि किसानों को सस्ती कीमतों पर चना और मसूर न बेचना पड़े़ हालांकि राहत की बात है कि इन दोनों फसलों का बाजार मूल्य समर्थन मूल्य से अधिक है़
बाजार सूत्रों के मुताबिक बाजार में मसूर दाल का थोक मूल्य 7800 और मूसर की कीमत 6000 हजार रुपये प्रति क्विंटल से अधिक है. वहीं चना का बाजार में थोक मूल्य 5500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक चल रहा है़ चने की दाल का थोक मूल्य बाजार में 6800 रुपये है़ इस तरह बाजार में बेचने पर किसानों को फायदा है़
Posted by Ashish Jha