राजदेव पांडेय, पटना. बिहार की सात नदियां व एक झील ही ऐसी है, जहां के सात विशेष बहाव क्षेत्रों में बिना किसी स्वास्थ्य संबंधी चिंता के अब नहाया जा सकता है. गंगा नदी में बक्सर से कहलगांव तक चार स्थानों पर नहाने योग्य पानी है.
पिछले कुछ सालों में ऐसा पहली बार देखा गया है. फिलहाल यहां नहाने के लिए पानी की गुणवत्ता के मानदंड अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुकूल हैं. हालांकि, प्रदेश में अभी एक भी ऐसी नदी नहीं है, जिनका पानी प्राकृतिक तौर पर पी सकें.
घाघरा, सोन, कोन्हारा, कोसी, कमला, दाहा, हरबौरा, मुमसर, लखनदेई, कोहरा आदि नदियों के एक भी घाट का पानी संतोषजनक नहीं है.
कांवर झील के अलावा किसी भी झील का पानी संतोषजनक नहीं पाया गया.
पीएच 6.5, डीओ 5 या इससे अधिक, बीओडी तीन या इससे अधिक होना चाहिए. इसके अलावा नहाने योग्य पानी के लिए टोटल कॉलीफार्म की अधिकतम मात्रा 2500 एमपीएन मानी गयी है.
फिलहाल विभिन्न कारणों से बिहार की नदियों की पानी की गुणवत्ता पिछले कुछ सालों से लगातार सुधरी है. इनमें गंगा, गंडक, बूढ़ी गंडक, पुनपुन, बागमती, सिकहरना और दरहा नदी शामिल हैं.बेगूसराय के मझौल स्थित कांवर झील में पिछले करीब एक दशक में पहली बार पानी संतोषजनक पाया गया है. हालांकि, इस बार नदियों में जल की गुणवत्ता में आंशिक सुधार की सर्वमान्य वजह का आकलन किया जा रहा है.
इन सभी नदियों और झील के 17 घाट ऐसे हैं, जहां पानी संतोषजनक पाया गया है. हालांकि, नहाने योग्य घाटों की संख्या महज सात है. यह निष्कर्ष पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के जनवरी 2021 के आंकड़ों पर आधारित हैं.
इस संबंध में सबसे अहम तथ्य यह है कि जनवरी, 2020 में प्रदेश की नदियों में केवल सात बहाव क्षेत्रों और 2019 में प्रदेश में केवल दो बहाव क्षेत्रों मसलन गंगा के छपरा ब्रिज और एक अन्य स्थान पर पानी संतोषजनक पाया गया था. इससे पहले 2018 और उससे पहले प्रदेश की नदियों का पानी स्वास्थ्य संबंधी किसी भी पैरामीटर पर खरा नहीं उतरा था.