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कोरोना से कराह रहा बिहार, तेजस्वी यादव ने कहा- मैंने पहले ही बोला था लेकिन इस सरकार ने ध्यान नहीं दिया

कोरोना की दूसरी लहर से बिहार कराह उठा है. हर रोज कोरोना के नये मामलों के आंकड़ें तेजी से बदल रहे हैं. वहीं कोरोना संकट के मद्देनजर बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर राजनीति भी शुरू हो गयी है. चुनावी दौरे से लौटे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बुधवार को बिहार सरकार पर हमला बोला.

कोरोना की दूसरी लहर से बिहार कराह उठा है. हर रोज कोरोना के नये मामलों के आंकड़ें तेजी से बदल रहे हैं. वहीं कोरोना संकट के मद्देनजर बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर राजनीति भी शुरू हो गयी है. चुनावी दौरे से लौटे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बुधवार को बिहार सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि बिहार के लोग गैर जवाबदेह राज्य सरकार से परेशान हैं. इस सरकार अभी तक किसी भी जवाबदेही पर खरी नहीं उतरी है.

उन्होंने कहा कि कोरोना काल के शुरुआती दौर से ही मैंने अस्पतालों की क्षमता बढ़ाने, सुविधाओं को सुदृढ़ करने और नए अस्पताल बनाने का सुझाव दिया था. मैंने कहा था कोरोना की लड़ाई मैराथन है. पुख़्ता तैयारी करनी होगी. हालांकि इस सरकार ने लोकहित में दिए सुझावों पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया.

उन्होंने दावा किया कि बिहार में एक साल पहले भी कोरोना मरीज अस्पताल में दवा, बेड, ऑक्सीजन और इलाज के लिए दर-बदर धक्के खा रहे थे. आज भी स्थिति यथावत है. लोक स्वास्थ्य/जन कल्याण राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में आज तक नहीं रहा, वरना स्वास्थ्य क्षेत्र में नीति आयोग के सूचकांकों में बिहार सबसे नीचे नहीं रहता? सरकार के पास इसका कोई जवाब भी नहीं है. उन्होंने कहा कि भाजपाई स्वास्थ्य मंत्री पॉलिटिकल टूरिज्म में व्यस्त हैं, जो कभी-कभार आराम फरमाने बिहार आते है. जनता भगवान भरोसे जीवन-मरण से संघर्षरत है.


तेजस्वी को दलितों के सम्मान से अधिक ममता बनर्जी की हार की चिंता:

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के नेता ने दलितों को खुलेआम भिखारी बताया. इस मुद्दे पर राजद के युवराज भले ही अभी तक मौन धारण किये हुए हों, लेकिन ममता बनर्जी के पक्ष में उनके कुतर्क लगातार जारी हैं. इससे साफ पता चलता है कि उनके मन में दलितों के सम्मान के बजाय ममता बनर्जी की संभावित हार की चिंता ज्यादा है. उनके इस आचरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि इन लोगों के मन में दलितों-पिछड़ों के लिए कोई इज्जत नहीं है.

इन्हें दलितों-पिछड़ों के वोट जरूर चाहिए, लेकिन उन्हें अपने बराबर सम्मान देना इन्हें पसंद नहीं है. उन्होंने कहा कि राजद को इस मुद्दे पर अपना स्टैंड जनता के सामने साफ करना चाहिए. वह बताये कि आखिर दलितों का कलेजा तार-तार कर देने वाले तृणमूल कांग्रेस के नेता के बयान पर उनके युवराज की चुप्पी क्यों नहीं टूट रही है. वह बताएं कि क्या उनके निगाह में भी दलितों का यही स्थान है.

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Posted By: Utpal Kant

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