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बिहार में नक्सलियों के एक्सपर्ट जुगाड़ से बनाते हैं ग्रनेड, लॉन्चर और आईईडी! बंगाल से सप्लाई होती है असलहे बनाने की सामग्री

छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ जवानों के उपर हाल में हुए नक्सली हमले ने प्रशासन सहित आम लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि नक्सली कितने ताकतवर होकर अपनी साजिशों को अंजाम दे रहे हैं. जिस तरह ऑपरेशन के तहत कार्रवाई करने गए जवानों को घेरकर उनपर हमला किया गया वो कई सवाल पीछे छोड़ जाता है. वहीं बिहार में भी नक्सलियों की गतिविधियों को देख प्रशासन कई बार अलर्ट जारी करता रहा है. नक्सलियों के पास हमला करने आईईडी के अलावे ग्रेनेड व लांचर भी रहते हैं, जिसे जुगाड़ से तैयार किया जाता है. हाल में ही इस बात का खुलासा हुआ.

छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ जवानों के उपर हाल में हुए नक्सली हमले ने प्रशासन सहित आम लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि नक्सली कितने ताकतवर होकर अपनी साजिशों को अंजाम दे रहे हैं. जिस तरह ऑपरेशन के तहत कार्रवाई करने गए जवानों को घेरकर उनपर हमला किया गया वो कई सवाल पीछे छोड़ जाता है. वहीं बिहार में भी नक्सलियों की गतिविधियों को देख प्रशासन कई बार अलर्ट जारी करता रहा है. नक्सलियों के पास हमला करने आईईडी के अलावे ग्रेनेड व लांचर भी रहते हैं, जिसे जुगाड़ से तैयार किया जाता है. हाल में ही इस बात का खुलासा हुआ.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नक्सली जुगाड़ टेक्नोलॉजी से अत्याधुनिक असलहे बना रहे हैं. इसका हाल में ही खुलासा हुआ है. नक्सली आईईडी के अलावा ग्रनेड और लांचर सहित अन्य हथियार और गोला-बारूद खुद तैयार कर रहे हैं. ग्रेनेड को तैयार करने में मुख्य भुमिका नक्सलियों के बीच रहने वाले एक्सपर्ट की होती है. इन्हें इसकी पूरी ट्रेनिंग दी गई है.

हाल में ही बिहार के दानापुर और जहानाबाद में पकड़े नक्सलियों ने इस बात का खुलासा किया है. जानकारी के अनुसार, नक्सली इन विस्फोटकों को तैयार करने की सामग्री बड़े शहरों से लेकर आते हैं. अत्याधुनिक हथियारों का ढ़ांचा छोटे जगहों में तैयार किया जाता है. पिछले दिनों जब दानापुर के गजाधरचक और जहानाबाद के बिस्तौल में एसटीएफ ने खुफिया जानकारी पर छापेमारी की तो उन्हें हैंड ग्रेनेड, डेटोनेटर, फ्यूज, ग्रेनेड का ढांचा और बड़ी संख्या में संवेदनशील सामान मिले थे.

दानापुर की छापेमारी में एसटीएफ को एक घर से लेथ मशीन भी मिली थी. जहां से एक बाप-बेटा को गिरफ्तार किया गया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, असलहे बनाने के सामान कोलकाता से मंगाया जाता था. भारी मात्रा में बिहार मंगाए गए इन सामानों को जहानाबाद के बिस्तौल में छुपाने की व्यवस्था की गई थी. यहां से थोड़ा-थोड़ा करके सामान को दानापुर लाया जाता था जहां लेथ मशीन पर हथियार बनाया जाता था. जिसके बाद इसे नक्सलियों के बीच सप्लाई किया जाता था.

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मीडिया रिपोर्ट के दावों के अनुसार, नक्सलियों की मिलिट्री विंग के बीच बड़ी संख्या में इस काम को अंजाम देने वाले एक्सपर्ट हैं. आंध्र प्रदेश में कभी पीडब्ल्यूजी के नक्सली इन विस्फोटकों की जानकारी रखते थे. उन्हें शुरुआती दौर में लिट्टे से ट्रेनिंग मिलता था. इन एक्सपर्ट ने उत्तर भारत के कई नक्सलियों को इसकी ट्रेनिंग दी. जिसके बाद ये सिलसिला आगे बढ़ता रहा और वो एक के बाद एक अगले को इसके गुर सिखाते रहते हैं.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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