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Hello Charlie Film Review : मनोरंजन के नाम पर सिरदर्द बढ़ाती है हैलो चार्ली

Hello Charlie Film Review : फ़िल्म में एक संवाद है कि जो कुछ नहीं करते हैं वो कमाल करते हैं. हैलो चार्ली फ़िल्म एंटरटेनमेंट के नाम पर कमाल नहीं बल्कि कुछ भी ऑफर नहीं कर पायी है. फ़िल्म के ट्रेलर को देखने के बाद इस फ़िल्म से सोशल मैसेज, लॉजिक,स्क्रिप्ट की वैसे भी उम्मीद नहीं थी एकमात्र कॉमेडी की उम्मीद थी लेकिन वो भी इस कॉमेडी फिल्म से नदारद है.

Hello Charlie Film Review

फ़िल्म : हैलो चार्ली

निर्माता : एक्सेल एंटरटेनमेंट

निर्देशक : पंकज सारस्वत

प्लेटफार्म : अमेज़न प्राइम वीडियो

कलाकार : आदर जैन, जैकी श्रॉफ,एलनाज़ नौरोजी,श्लोका पंडित,राजपाल यादव, गिरीश कुलकर्णी और अन्य

रेटिंग : डेढ़

फ़िल्म में एक संवाद है कि जो कुछ नहीं करते हैं वो कमाल करते हैं. हैलो चार्ली फ़िल्म एंटरटेनमेंट के नाम पर कमाल नहीं बल्कि कुछ भी ऑफर नहीं कर पायी है. फ़िल्म के ट्रेलर को देखने के बाद इस फ़िल्म से सोशल मैसेज, लॉजिक,स्क्रिप्ट की वैसे भी उम्मीद नहीं थी एकमात्र कॉमेडी की उम्मीद थी लेकिन वो भी इस कॉमेडी फिल्म से नदारद है.

फ़िल्म की कहानी चिराग रस्तोगी उर्फ चार्ली (आदर जैन)की है उसके 15 लाख कर्ज है. ऐसे मैं उसे एक गुरिल्ला को मुम्बई से दीव पहुंचाने का जिम्मा मिलता है. दरअसल गुरिल्ला के कॉस्ट्यूम में बिजनेसमैन मकवाना (जैकी श्रॉफ) है जो बैंकों से कई हज़ार करोड़ों का कर्ज लेकर देश छोड़कर भाग रहा है. दीव से समंदर के रास्ते दुबई भागने की उसकी प्लानिंग है.

कहानी में ट्विस्ट तब आ जाता है जब इस रोड ट्रिप में और भी कई किरदार जुड़ते हैं और साथ में असली गुरिल्ला की भी एंट्री होती है. उसके बाद क्या होता है वही आगे की कहानी है. फ़िल्म में गुरिल्ला का कॉस्ट्यूम भले ही असली लगता है लेकिन फ़िल्म की स्क्रिप्ट का फील पूरी तरह से नकली है.

इस फ़िल्म के निर्देशक और लेखक पंकज सारस्वत है जो छोटे परदे पर कई बेहतरीन कॉमेडी शोज से जुड़े हैं लेकिन उन्होंने इस बार जो भी बनाया है कॉमेडी के नाम पर वो सरदर्द बन गया है. फ़िल्म में कहानी के नाम पर तो कुछ था ही नहीं ट्रीटमेंट जले पर नमक छिड़कने का काम करता है.

फ़िल्म का क्लाइमेक्स प्रियदर्शन की फिल्मों से प्रेरित है. ढेर सारे लोग और उनके बीच कंफ्यूजन और भागमभाग लेकिन लेखन टीम को यह समझने की ज़रूरत थी कि प्रियदर्शन की फिल्मों में कॉमेडी भी होती है. इस कॉमेडी फिल्म में कॉमेडी ही नहीं है।घिसे पिटे संवाद हैं जो इस दो घंटे की फ़िल्म को और बोझिल बनाती है.

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अभिनय की बात करें तो आदर जैन अपने कजिन रणबीर कपूर की याद अपनी आवाज़ और चाल ढाल से दिलाते हैं लेकिन अभिनय में वो प्रभाव नहीं ला पाए हैं. उन्हें खुद पर काम करने की ज़रूरत है. जैकी अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं. राजपाल यादव को एक अरसे बाद देखना सुखद रहा हालांकि फिल्म में उनके और बाकी के दूसरे कलाकारों को करने के लिए कुछ खास नहीं था।फ़िल्म का गीत संगीत औसत है.

कुलमिलाकर इस माइंडलेस फैमिली कॉमेडी फिल्म में गुरिल्ला को देखकर बच्चों को शायद हंसी आ भी जाए लेकिन बड़ों के लिए यह सिरदर्द से ज़्यादा नहीं है.

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