लंदन : देश-दुनिया में कोरोना की दूसरी लहर के बीच लोगों में डर पैदा करने वाली खबर भी सामने आ रही है. पूरी दुनिया में कोरोना के टीकों की किल्लत का मामला सामने आ रहा है. चौंकाने वाली खबर यह है कि टीके की कमी के पूरी दुनिया में विकासशील और गरीब राष्ट्र सहित करीब 60 देशों में टीकाकरण अभियान बीच में रुक जाने का खतरा अधिक है. इसका कारण यह है कि इस वैश्विक कार्यक्रम में टीके की आपूर्ति में जून महीने तक बाधित हो सकती है.
बता दें कि दुनियाभर में कोरोना वायरस के पारदर्शी तरीके से वितरण के लिए शुरू किए गए संयुक्त राष्ट्र समर्थित कार्यक्रम ‘कोवैक्स’ को मिलने वाले टीकों की आपूर्ति बाधित हो सकती है. आशंका जाहिर की जा रही है कि इस कार्यक्रम के लिए टीकों की आपूर्ति बाधित होने की वजह से 60 देशों के सामने एक नया संकट पैदा हो सकता है. यूनिसेफ की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो हफ्ते में 92 विकासशील देशों में आपूर्ति करने के लिए 20 लाख से कम कोवैक्स खुराकों को मंजूरी दी गई, जबकि केवल ब्रिटेन में इतनी ही खुराक की आपूर्ति की गई.
मीडिया की खबरों के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रस अधानम घेब्रेयेसस ने टीकों के दुनिया भर में वितरण में चौंकाने वाले असंतुलन की आलोचना की है. उन्होंने शुक्रवार को कहा था कि अमीर देशों में औसतन चार में से एक व्यक्ति को कोरोना टीका लगाया जा चुका है, जबकि कम आमदनी वाले देशों में 500 लोगों में से औसतन केवल एक व्यक्ति को टीका लगाया गया.
बता दें कि भारत ने बड़ी मात्रा में ‘एस्ट्राजेनेका’ टीकों का उत्पादन करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट में बने वैक्सीन के निर्यात को फिलहाल रोकने का फैसला किया है. बताया यह जा रहा है कि भारत की ओर से वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगाए जाने के बाद वैश्विक स्तर पर टीकों की किल्लत का मुख्य कारण है. जिन देशों को कोवैक्स ने सबसे पहले टीकों की आपूर्ति की थी, उन्हें 12 हफ्ते के अंदर टीके की दूसरी खुराक की आपूर्ति की जानी है, लेकिन ऐसा होना फिलहाल असंभव ही दिखाई देता है.
एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, टीकों की आपूर्ति करने वाले संगठन गावी ने बताया कि टीकों की आपूर्ति में देरी से 60 देश प्रभावित हुए हैं. एसोसिएटेड प्रेस का दावा है कि उसके पास विश्व स्वास्थ्य संगठन का वह दस्तावेज है, जो यह दर्शाता है कि कि आपूर्ति को लेकर बनी अनिश्चितता के कारण कुछ देशों का कोवैक्स से भरोसा उठने लगा है. इस कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन पर चीन और रूस के टीकों की मंजूरी देने का दबाव बढ़ रहा है. उत्तर अमेरिका या यूरोप में किसी भी नियामक ने चीन और रूस के टीकों को इजाजत नहीं दी है.
Posted by : Vishwat Sen