राजदेव पांडेय, पटना. गन्ने से गुड़-जूस और गुड़ से बने चाकलेट जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को बाजार में उतारने के लिए राज्य में प्रसंस्करण उद्योग खड़ा करने की तैयारी की जा रही है. लिहाजा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए गन्ना उद्योग विभाग विशेष प्रोत्साहन पॉलिसी बना रहा है.
निजी क्षेत्र को आकर्षित करने के लिए बनायी जा रही इस पॉलिसी में काफी वित्तीय छूट देने पर विचार चल रहा है. यहां तक कि पूंजीगत निवेश अनुदान 50 फीसदी तक हो सकता है. आधिकारिक जानकारों के मुताबिक गन्ना उद्योग विभाग की रणनीति है कि बाजार में विशेषकर गुड़ से बने उत्पाद मसलन चॉकलेट, टॉफी, गुड़ मिश्रित ड्राइफूड उत्पाद आदि खाद्य वस्तुएं बनायी जाएं.
इसी तरह पॉलिसी के तहत विभिन्न फलों के डिब्बा बंद जूस की तरह गन्ना रस की पैकेजिंग करने वाली इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के प्रावधान किये जा रहे हैं. अत्याधुनिक मशीनों को खरीदने पर भी अनुदान देने की पेशकश की जायेगी. इस तरह की मशीन मॉल, बड़ी दुकानों यहां तक कि ठेले पर भी लगायी जा सकेगी.
ठेले पर गन्ना का जूस बेचने वालों को बनायी जा रही पॉलिसी से काफी फायदा होगा. गन्ना जूस निकालने के लिए पेट्रोल से चलने वाली अत्याधुनिक मशीन हाल ही में काफी लोकप्रिय हुई है. दरअसल राज्य सरकार की रणनीति है कि गन्ना से इथेनॉल के अलावा या समानांतर गन्ना-गुड़ प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा दिया जाये, ताकि अधिकतर स्थानीय लोगों को रोजगार मिले.
विभाग गन्ना और गुड़ के उत्पाद बनाने वाली औद्योगिक यूनिटों और निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए पॉलिसी बना रहा है. इसके तहत छोटे-बड़े सभी निवेशकों को अनुदान और दूसरी वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जायेगी.
गन्ना उद्योग विभाग के मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि सरकार की मंशा है कि गुड़ एवं गुड़ से बने तमाम उत्पाद मसलन चॉकलेट आदि फास्ट फूड बनाने वाली यूनिट बिहार में निवेश करें. इस पॉलिसी के तहत छोटे-छोटे निवेशकों को भी लाभ दिया जायेगा. इस दिशा में अपार संभावनाएं हैं, जिसका राज्य सरकार दोहन करना चाहती है.
Posted by Ashish Jha