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सीएम नीतीश का प्रयास ला रहा रंग, बिहार की लड़कियों में बढ़ा शिक्षा के प्रति रूझान, इंटर परीक्षा परिणाम से मिले ये संकेत

बिहार इंटरमीडिएट परीक्षा का शुक्रवार को आये परिणाम ने दो चीजें स्पष्ट कर दी हैं. पहला यह कि राज्य की बेटियों में शिक्षा के प्रति रूझान बढ़ा है. दूसरा समाज भी लड़की शिक्षा को लेकर जागरूक हुआ है, उन्हें आगे पढ़ाने की प्रवृति बढ़ी है. तभी तो इंटर परीक्षा की तीनों संकायों में बेटियां ही टापर बनी हैं. विशेष रूप से बिहार सरकार एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला सशक्तिकरण याेजना के तहत जाे महिलाओं को शिक्षित बनाने का अभियान चलाया गया है, यह उसी का परिणाम है.

बिहार इंटरमीडिएट परीक्षा का शुक्रवार को आये परिणाम ने दो चीजें स्पष्ट कर दी हैं. पहला यह कि राज्य की बेटियों में शिक्षा के प्रति रूझान बढ़ा है. दूसरा समाज भी लड़की शिक्षा को लेकर जागरूक हुआ है, उन्हें आगे पढ़ाने की प्रवृति बढ़ी है. तभी तो इंटर परीक्षा की तीनों संकायों में बेटियां ही टापर बनी हैं. विशेष रूप से बिहार सरकार एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला सशक्तिकरण याेजना के तहत जाे महिलाओं को शिक्षित बनाने का अभियान चलाया गया है, यह उसी का परिणाम है.

प्रारंभिक शिक्षा से लेकर माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा में सरकार की तरफ से छात्राओं काे दिये जा रहे प्रोत्साहन के नतीजे सामने आने लगे हैं. दूसरी, सबसे उल्लेखनीय चीज यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के छात्र–छात्राओं ने अव्वल स्थान में स्पष्ट रूप से बाजी मारी है. इसी का परिणाम है कि तीनों संकायों के मेधा सूची में ऊपर के दस यानी कुल तीस स्थानों में पटना के छात्र बिरले ही स्थान प्राप्त कर पाये हैं. यह इंगित करता है कि अब ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में भी पढ़ाई के प्रति आकर्षण बढ़ा है आैर शिक्षा की रोशनी दूर देहात तक पहुंच रही है.

मेघावी छात्र–छात्राआें में आैरंगाबाद से किशनगंज एवं पश्चिम चंपारण से जमुई तक के छात्र–छात्राएं शामिल हैं. यह बिहार में शिक्षा जगत के लिए शुभ संकेत है. पूरे प्रदेश में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ने एव सरकार के शिक्षित बिहार बनाने के प्रयास की सफलता का सूचक है.

लड़कियों की शिक्षा के प्रति रूझान में उस समय तेजी आयी जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्कूल जाने वाली बेटियों के लिए सीएम साइकिल योजना को जमीन पर उतारा. इस योजना के तहत नौवीं कक्षा की लड़कियों को साइकिल दी गयी. पहले गांव-देहात में साइकिल पर चढ़ने वाली लड़कियों की संख्या कम पायी जाती थी. लेकिन, यह जबरदस्त बदलाव सीएम साइकिल योजना के बाद देखने को मिला. न सिर्फ स्कूलों में लड़कियों की संख्या बढ़ी बल्कि, पढ़ाई के प्रति उनमें ललक भी जगा. साइकिल के बाद पोशाक, जूते व बैग और बाद में सैनिटरी पैड के लिए भी सरकार की ओर से पैसे दिये जाने लगे. सरकार के इन कदमों से गरीब से गरीब घर की बेटियां भी स्कूल जाने लगीं, उनमें कपड़े, जूते व अन्य चीजों को लेकर निराशा व उदासी के भाव नहीं रहे.

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सरकार की इन फ्लैगशिप योजनाओं का लाभ अब जमीन पर दिखने लगा है, जब इंटर की रिजल्ट में तीनों संकायों में बेटियां ही टापर बनीं. अब तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर इंटर पांस करने वाली सभी अविवाहित लड़कियों को पचीस हजार रुपये की प्रोत्साहन भत्ता देने की योजना लायी गयी है. ऐसा होने से कम से कम 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी को लेकर समाज व अभिभावकों पर एक बंदिश भी होगी. वहीं लड़कियां जब स्नातक पास करेंगी तो उन्हें सरकार की ओर से पचास हजार रुपये का प्रोत्साहन भत्ता मिलेगा.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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