Amalaki Ekadashi 2021 Vrat Katha, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Parana Time: आमलकी एकादशी 2021 का उपवास 25 मार्च को रखा जाना है. इस दिन भगवान विष्णु और आंवले की पूजा करने की परंपरा होती है. ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति आमलकी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक रखता है वह हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है साथ ही साथ वैकुंठ धाम की भी प्राप्ति होती है. ऐसे में आइए जानते हैं आमलकी एकादशी की क्या है व्रत कथा, शुभ मुहूर्त, पारण मुहूर्त व मान्यताएं…
सदियों पूर्व एक महान राजा हुआ करता था, जिसका नाम मान्धाता था. एकबार उन्होंने एक वशिष्ठ से पूछा- ‘हे वशिष्ठजी! यदि आप मुझ से प्रसन्न हैं तो आप मुझे ऐसा व्रत और उसकी विधि बताएं जिसे करके मेरा कल्याण हो.’ ऐसे में महर्षि वशिष्ठजी ने कहा – ‘हे राजन! सब व्रतों में उत्तम और मोक्ष देने वाला एक व्रत है जिसे आमलकी एकादशी व्रत कहा जाता है.
महर्षि वशिष्ठ ने विस्तार से व्रत का वृत्तांत करते हुए कहा कि यह व्रत फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में रखा जाता है.
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इस व्रत के फल से सभी पाप नष्ट होते हैं.
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इस व्रत को करने से मिलने वाला पुण्य एक हजार गौदान के बराबर फल देता है.
उन्होंने बताया कि आमलकी अर्थात आंवले का महत्व केवल स्वास्थ्य और स्वाद के हिसाब से नहीं है बल्कि इसकी उत्पत्ति श्री भगवान विष्णु के श्रीमुख से हुई थी.
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प्राचीन काल में एक वैदिक नामक नगर हुआ करता था. उस नगर में वैश्य, क्षत्रिय, शूद्र, ब्राह्मण जाती के लोग रहते थे. जिसके राज्य का राजा चैत्ररथ नामक चन्द्रवंशी था. वे विद्वान के साथ-साथ धार्मिक प्रवृत्ति के थे. उस राज्य के सभी लोग विष्णु जी की पूजा करते थे. सभी एकादशी का उपवास भी रखते थे.
एक बार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी पर राजा समेत सभी प्रजा ने विधिपूर्वक उपवास रखा और मंदिर जाकर कलश स्थापित किया. साथ ही साथ धूप, दीप, नैवेद्य, पंचरत्न, छत्र आदि से धात्री का पूजन करने के बाद प्रार्थना की और कहा कि हमारे सभी पापों को नष्ट करें और अर्घ्य को स्वीकार करें.
फिर सभी ने मिलकर रात को जागरण किया. जिस दौरान वहां एक बहेलिया पहुंचा. यह बहेलिया महापापी और दुराचारी था. वह भूखा-प्यासा था. अत: भोजन पाने की इच्छा में वह एक कोने में बैठ गया और भगवान विष्णु की कथा तथा एकादशी माहात्म्य को सुनने लगा. पूरी रात बहेलिए ने सभी के साथ जागरण किया और सुबह अपने घर चला गया.
कुछ समय बाद बहेलिए की मौत हो गई. क्योंकि वह जीव हत्या करता था ऐसे में वह घोर नरक का भागी था, लेकिन आमलकी एकादशी का व्रत और जागरण के प्रभाव से वह राजा विदुरथ के यहां जन्मा. जिसका नाम वसुरथ पड़ा. बड़ा होकर उसे चतुरंगिणी सेना तथा दस सहस्र ग्रामों का संचालन करने का जिम्मा सौंपा गया.
एक बार राजा वसुरथ शिकार खेलने गए और रास्ता भटक गए. और जंगल में एक वृक्ष के नीचे सो गए. वहां कुछ डाकू पहुंचे और राजा को अकेला देखकर राजा वसुरथ को बाप-दादा का हत्यारा कह शस्त्रों से प्रहार करने लगे. हालांकि, भगवान विष्णु के कृपा से उन्हें आंच तक नहीं आयी और सभी डाकू का नाश हो गया.
अत: जो व्यक्ति आमलकी एकादशी का व्रत करता है वह हर क्षेत्र में सफल होता है साथ ही साथ वैकुंठ धाम को जाता है.
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एकादशी तिथि आरंभ: मार्च 24, 2021 को सुबह 10 बजकर 23 मिनट से
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एकादशी तिथि समाप्त: मार्च 25, 2021 को सुबह 09 बजकर 47 मिनट तक
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26वां मार्च को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय: सुबह 06 बजकर 18 मिनट से उसी दिन 08 बजकर 21 मिनट तक
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पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय: 08 बजकर 21 मिनट पर