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Kisan Andolan News : गुमराह हुए किसान, ना जमीन गयी ना मंडिया बंद हुई : योगी आदित्यनाथ

स्वार्थी तत्व किसानों के कंधों पर बंदूक रख उन्हें गुमराह कर अराजकता और अव्यवस्था पैदा करना चाहते हैं . इन्होंने खुद किसान हित का कोई भी कार्य नहीं किया. वे किसानों को मुनाफा नहीं कमाने देना चाहते.

लंबे समय से चले आ रहे किसान आंदोलन को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार किसानों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है. गोरखपुर में किसानों से संवाद करते हुए उन्होंने कहा, सत्तर सालों बाद केंद्र व प्रदेश में ऐसी सरकार आई है जो पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता से किसानों के कल्याण और उनकी आय दोगुनी करने की दिशा में कार्य कर रही है.

स्वार्थी तत्व किसानों के कंधों पर बंदूक रख उन्हें गुमराह कर अराजकता और अव्यवस्था पैदा करना चाहते हैं . इन्होंने खुद किसान हित का कोई भी कार्य नहीं किया. वे किसानों को मुनाफा नहीं कमाने देना चाहते.

न तो किसान की जमीन हड़पी गई और न ही बंद हुईं मंडियां

उपरोक्त बातें मुख्यमंत्री ने राजकीय कृषि विद्यालय परिसर, चरगांवा में मिशन किसान कल्याण के तहत आयोजित वृहद किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही उन्हंने कहा, इन्होंने झूठ फैलाया कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसान की जमीन हड़प ली जाएगी जबकि पीएम मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर रखा है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक विकल्प है, बाध्यता नहीं. इसमें किसान को मार्केट से ज्यादा लाभ कमाने के लिए कहीं भी उपज बेचने की स्वतंत्रता है. कोई बताए कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से क्या किसी किसान की जमीन हड़प ली गई? कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान की जमीन पर कोई कब्जा नहीं कर सकता किसान ही अपनी खेती का मालिक है.

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यह भी झूठ फैलाया गया कि मंडिया बंद कर दी जाएंगी. एक भी मंडी बंद हुई क्या? जून 2020 से एक भी मंडी बंद नहीं की गई बल्कि इन मंडियों को एक राष्ट्र एक बाजार की परिकल्पना के तहत “ई-नाम” के तहत जोड़ा गया. 1000 से अधिक नई मंडियों को भी इसमें जोड़ने की कार्यवाही की जा रही है.

वर्तमान में पूर्वी उत्तर प्रदेश में 10 से 11 चीनी मिले चल रही हैं वह भी तब जब हमारी सरकार ने पिपराइच व मुंडेरवा में नयी चीनी मिल लगाई. सपा, बसपा की सरकार में कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज की चीनी मिलों को या तो बेच दिया गया या फिर बंद कर दिया गया.

किसान व गांव की खुशहाली से ही प्रशस्त होगा देश की समृद्धि का मार्ग

किसान सम्मेलन में सीएम योगी ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है. केंद्र व उत्तर प्रदेश की सरकारें अन्नदाता के हित के लिए प्रतिबद्ध हैं. किसान खुश रहेगा तो गांव की खुशहाली होगी, और गांव-किसान की खुशहाली से ही देश की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 2014 से देश में पहली बार ऐसी सरकार आई जिसने किसानों के कल्याण के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं.

पहली बार देश के किसान देश की राजनीति का एजेंडा बने हैं. किसानों के उत्थान के लिए नीतियां बनीं. हर क्षेत्र में कुछ नया देखने को मिला है. किसानों के लिए मृदा स्वास्थ्यपरीक्षण कार्ड बने, किसानों को डेढ़ गुना एमएसपी दी गई, पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ मिला, किसानों की कर्ज माफी की योजना चलाई गई. किसानों के साथ ही बटाईदार को भी मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा के तहत पांच लाख का सुरक्षा कवर मिल रहा है.

सरकार खेती की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए लंबित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा कर रही है इन तमाम योजनाओं से किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन आया है. मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में गत वर्ष छप्पन लाख मीट्रिक टन धान का क्रय सीधे किसानों से किया गया. इस वर्ष एमएसपी पर 68 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई. 66000 करोड़ रुपये का भुगतान सीधे किसानों के खातों में किया गया. प्रदेश में 2.42 करोड़ किसानों को 27000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत प्राप्त हुई.

20 लाख हेक्टेयर भूमि को मिलेगी सिंचाई की सुविधा

मुख्यमंत्री ने कहा कि चार साल में उत्तर प्रदेश की सरकार ने सिचाई की 9 लंबित परियोजनाओं को पूरा कर लिया है, 11 इस वित्तीय वर्ष के अंत तक पूरी हो जाएंगी. इससे 20 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा मिलने लगेगी. ड्रिप इरीगेशन से यह क्षमता तीन गुना तक बढ़ जाएगी. सीएम ने कहा कि सरकार खेती की लागत कम करने, उत्पादकता बढ़ाने के लिए तकनीकी के बेहतर इस्तेमाल पर ध्यान दे रही है. इसके लिए हर जिले में एक एक कृषि विज्ञान केंद्र कार्य कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि किसानों के लिए हमारी सरकार ने एक और योजना चलाई है. कोई भी किसान यदि आयुष्यमान भारत योजना के लाभ से आच्छादित नहीं है तो उसे मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पांच लाख रुपये स्वास्थ्य बीमा की सुरक्षा से कवर किया जाएगा.

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एफपीओ से बढ़ेगी किसानों की आमदनी

मुख्यमंत्री ने कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि वर्तमान में 576 एफपीओ कार्य कर रहे हैं. यदि किसान एफपीओ से जुड़कर कार्य करें तो उनकी आमदनी कई गुना बढ़ जाएगी.

उन्होंने कहा कि एफपीओ किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन का आधार बनेंगी और सरकार इसके लिए हर प्रकार की मदद दे रही है. यहां बीज से लेकर उत्पादन के बाजार तक की व्यवस्था है. हमें एफपीओ को आगे बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा कि सरकार हर ब्लॉक स्तर पर किसानों के उत्पाद को स्टोरेज की सुविधा देने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर भी कार्य कर रही है ताकि मार्केट में अच्छा रेट होने पर किसान अपनी स्टोर की गई उपज बेच सके.

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