अरुण कुमार, पूर्णिया. मिजोरम के बैंकों में कार्यरत एक दर्जन से अधिक बिहारी युवक इन दिनों मानसिक तनाव और गहरे अवसाद से गुजर रहे हैं. भाषा को आधार बनाकर उन्हें न केवल मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, बल्कि उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
इसके लिए मिजोरम स्टूडेंट्स यूनियन (एमएसयू) ने नोटिस जारी कर धमकी दी है कि इन लोगों को जल्द नौकरी से निष्कासित किया जाये, नहीं तो भविष्य में इन लोगों के साथ कुछ भी गलत होता है तो इसकी जिम्मेदारी एमएसयू की नहीं होगी.
इस धमकी से इन लड़कों में असुरक्षा की भावना इस कदर घर कर गयी है कि वे ऑफिस जाने की बजाय अपने-अपने घरों में कैद हैं. जब वहां किसी भी स्तर से इन्हें मदद नहीं मिली, तो इन लड़कों ने बिहार के मुख्यमंत्री से इस दिशा में पहल करने का आग्रह किया है. अधिकतर लड़के बिहार के पूर्णिया, दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी, सहरसा, मोतिहारी आदि जिले के हैं.
इनमें एक अभिनव कुमार पूर्णिया के हैं. अभिनव मिजोरम रूरल बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने प्रभात खबर के साथ आपबीती शेयर करते हुए बताया कि वे और उनके 17 सहकर्मी जो बिहार के विभिन्न जिलों से आते हैं, पिछले दो-तीन वर्षों से मिजोरम रूरल बैंक में कार्यरत हैं.
अब बात यहां तक पहुंच गयी है कि हम सभी को बैंक न जाने तथा रिजाइन देने की धमकी दी जा रही है. हमें सुरक्षा देने की बजाय स्थानीय पुलिस तथा ब्रांच मैनेजर द्वारा बैंक न जाने की सलाह दी जा रही है.
यहां के मिजोरम स्टूडेंट यूनियन (एमएसयु) द्वारा खुले तौर पर उनलोगों को 18 मार्च से बैंक न जाने की धमकी दी गयी है. बैंक के जेनरल मैनेजर तथा चेयरमैन पर भी नौकरी से निष्कासित करने का दबाव डाला जा रहा है. अभिनव का कहना है कि भय के इस माहौल में हम सभी जान के खतरे के साथ मिजोरम में बने हुए हैं. यह अवस्था हमें मानसिक तौर पर बीमार कर रहा है.
पूर्णिया के अभिनव कुमार, आकाशदीप पाल, पुनित कुमार झा, दरभंगा के द्वारका नाथ झा, मधुबनी के राजन कुमार झा, सीतामढ़ी के चंदन कुमार और सुमित कुमार, सहरसा के मोहन लाल दास, मोतिहारी के रिशभ राज, केतन कुमार, राजभूषण और मनोहर ठाकुर. इसके आलावा प बंगाल, झारखंड और राजस्थान के एक-एक युवक शामिल हैं.
Posted by Ashish Jha