अंबर, पटना. शहर के बड़े स्कूलों में एलकेजी में एडमिशन के लिए अभिभावक फॉर्म निकलने से महीनों पहले इसकी तैयारी में जुट जाते हैं. एलकेजी में बच्चों को पढ़ाने में 60 हजार से एक लाख रुपये की मोटी रकम चुकानी पड़ रही है.
मार्च में शहर के ज्यादातर स्कूलों में नये सत्र 2021-22 में एडमिशन की प्रक्रिया पूरी हो जायेगी. हालांकि, एडमिशन फीस के साथ कुछ स्कूलों में तीन महीने की फीस, तो कहीं साल भर की फीस व अन्य चार्ज जुड़ गये हैं.
लोयेला मांटेसरी : एलकेजी में एडमिशन के लिए एकमुश्त 81 हजार रुपये लग रहे हैं. इसमें एडमिशन फीस, एक साल की ट्यूशन फीस, टर्म फीस व एक्टिविटी चार्ज जुड़े हैं. एक साल की ट्यूशन फीस 56 हजार रुपये है.
माउंट कार्मेल हाइस्कूल : एलकेजी की एडमिशन फीस 66 हजार रुपये है. इसमें एनुअल फीस व एक साल की ट्यूशन फीस जुड़ी हैं. एक साल की ट्यूशन फीस 60 हजार रुपये है.
संत माइकल हाइस्कूल : 36 हजार रुपये, एडमिशन फीस व तीन महीने की ट्यूशन फीस. एक साल की ट्यूशन फीस 32 हजार रुपये है
नॉट्रेडेम एकेडमी : 30 हजार रुपये, तीन महीने की ट्यूशन फीस, एडमिशन फीस व बुक एंड स्टेश्नरी चार्ज जुड़े हैं. एक साल की ट्यूशन फीस 75 हजार रुपये है.
मेरी वार्ड किंडरगार्टेन : 15 हजार रुपये एडमिशन फीस और तीन महीने की ट्यूशन फीस. एक साल की ट्यूशन फीस 45 हजार रुपये है.
संत जेवियर हाइस्कूल : 37 हजार रुपये हैं, जिसमें एडमिशन फीस व छह महीने की ट्यूशन फीस जुड़ी हैं. एक साल की ट्यूशन फीस 27 हजार रुपये है.
संत कैरेंस हाइस्कूल : 45 हजार रुपये में एडमिशन फीस एक महीने की ट्यूशन फीस व एनुअल चार्ज जुड़े हैं. 40 हजार रुपये एक साल की ट्यूशन फीस है.
संत डोमेनिक हाइस्कूल : 12 हजार रुपये एडमिशन फीस है, जिसमें तीन महीने की ट्यूशन फीस जुड़ी है. एक साल की ट्यूशन फीस 48 हजार रुपये है.
रेडिएंट इंटरनेशनल स्कूल : 30 हजार रुपये एडमिशन फीस में तीन महीने की फीस 11 हजार जुड़ी है, एक साल की ट्यूशन फीस 44 हजार रुपये है.
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदार पांडेय ने कहा कि शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है. सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी है. प्राइवेट स्कूलों में इतनी ज्यादा फीस है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आने वाले बच्चे नहीं पढ़ पाते हैं.
आरटीइ के तहत कुल स्कूलों में 25% गरीब परिवारों के बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देना है, लेकिन जिन स्कूलों में इन वर्गों से आने वाले बच्चों का एडमिशन लिया भी जाता है, तो उनकी कक्षा अलग कर दी जाती है. जिससे क्वालिटी एजुकेशन उन्हें नहीं मिल पाता है. हमलोग शुरू से ही एक समान शिक्षा प्रणाली की मांग करते रहे हैं.
Posted by Ashish Jha