Jharkhand News, Gumla News, गुमला (जगरनाथ) : गुमला जिला में धान का उत्पादन करनेवाले किसानों के लिए खुशखबरी है. खुशखबरी यह है कि धान का उत्पादन करनेवाले किसानों के लिए गुमला जिले में एक या दो नहीं, बल्कि पूरे पांच राइस (चावल) मिल खोलने की योजना है. राइस मिल खोलने की यह योजना झारखंड सरकार की है.
सरकार द्वारा गुमला जिला प्रशासन से राइस मिल खोलने के लिए प्रस्ताव मांगा गया था. सरकार द्वारा प्रस्ताव मांगे जाने के बाद जिला प्रशासन ने जिले में धान उत्पादन वाले क्षेत्रों का जायजा लिया. जिसमें रायडीह, डुमरी, जारी, पालकोट, कामडारा, भरनो व बिशुनपुर प्रखंड की अपेक्षा गुमला, चैनपुर, बसिया, सिसई एवं घाघरा प्रखंड में धान का अधिक पैदावार पाया गया.
प्रत्येक वर्ष गुमला प्रखंड में 18988 हेक्टेयर, चैनपुर प्रखंड में 17709 हेक्टेयर, बसिया प्रखंड में 14175 हेक्टेयर, सिसई प्रखंड में 14965 हेक्टेयर एवं घाघरा प्रखंड में 18630 हेक्टेयर भूमि पर धान की पैदावार होती है. वहीं उपरोक्त प्रखंडों में राइस मिल खोले जाने के अन्य संसाधनों की उपलब्धता भी पायी गयी.
इसके बाद जिला प्रशासन ने राइस मिल का प्रस्ताव बना कर विगत फरवरी माह में सरकार को भेजा. जिसमें गुमला, चैनपुर, बसिया, सिसई एवं घाघरा प्रखंड में एक-एक राइस मिल खोले जाने का प्रस्ताव बनाया गया है. प्रत्येक राइस मिल तीन-तीन एकड़ भूमि पर बनाया जायेगा. बताते चले कि जिले में राइस मिल नहीं है.
जिले में राइस मिल खुल जाने के बाद न केवल धान का उत्पादन करने वाले किसानों में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि संभावना है कि धान उत्पादन के क्षेत्र में जिले में एक नयी क्रांति भी आयेगी और अन्य किसान भी धान उत्पादन की ओर प्रेरित होंगे. साथ ही रोजगार के साधन भी खुलेंगे.
प्रशासन ने गुमला, चैनपुर, बसिया, सिसई एवं घाघरा प्रखंड में मिल खोलने का प्रस्ताव भेजा
पांचों प्रखंडों में तीन-तीन एकड़ भू-भाग पर राइस मिल खोला जायेगा
राइस मिल खुलने से किसानों में आत्म निर्भरता बढ़ेगी, रोजगार के साधन भी खुलेंगे
गुमला जिला में सर्वाधिक उत्पादित होनेवाली फसल धान है. प्रत्येक वर्ष जिले के दो लाख से भी अधिक किसान धान की खेती करते हैं. किसान लगभग 1.88 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की प्राय: तीन किस्में क्रमश: अधिक ऊपजशील, उन्नत एवं हाईब्रिड धान की खेती करते हैं. जिससे प्रत्येक वर्ष जिले भर में लगभग 60 हजार मीट्रिक टन धान की पैदावार होती है.
धान उत्पादन के बाद किसानों के समक्ष धान की बिक्री की समस्या भी होती रही है. प्रत्येक वर्ष किसानों के लगभग आठ हजार मीट्रिक टन धान की खरीदारी तो सरकारी स्तर पर लैंपस के माध्यम से हो जाती है. परंतु उत्पादन के विरुद्ध सरकारी स्तर पर खरीदारी कम होने के कारण किसान अपने धान को खुले बाजार में व्यापारियों को औने-पौने दामों में बेचते रहे हैं. जिससे किसानों को सीधे तौर पर आर्थिक नुकसान होता रहा है. परंतु अब झारखंड सरकार द्वारा जिले में राइस मिल खोलने की योजना बनायी है. इस योजना से किसान लाभान्वित होंगे.
Posted By : Sameer Oraon