नयी दिल्ली : भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटिश संसद में बहस होने पर भारत ने जवाबी हमला बोला है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को राज्यसभा में ब्रिटेन में बढ़ रहे नस्लवाद के मुद्दे को उठाया.
We will monitor these developments very very closely. We will raise it when required and we will always champion the fight against racism and other forms of intolerance: EAM Dr S Jaishankar in Rajya Sabha on Oxford University's racism row
— ANI (@ANI) March 15, 2021
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन में रश्मि सामंत के साथ नस्लीय भेदभाव के आरोपों पर सोमवार को राज्यसभा में कहा कि भारत सरकार घटनाक्रम पर नजर बनाये हुए है. अगर जरूरत पड़ी तो हम भी ‘इस’ मुद्दे को मजबूती से उठायेंगे.
मालूम हो कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन में पहली भारतीय महिला अध्यक्ष बन कर छात्रा रश्मि सामंत ने इतिहास रचा था. लेकिन, रश्मि सामंत को विरोध के कारण ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन से इस्तीफा देना पड़ा था.
सदन में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हम इन घटनाओं की बहुत बारीकी से निगरानी करेंगे. आवश्यकता पड़ने पर हम इसे बढ़ायेंगे और नस्लवाद और असहिष्णुताके के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ायेंगे.
साथ ही कहा कि महात्मा गांधी की भूमि से होने के कारण हम कभी नस्लवाद से आंखें नहीं चुरा सकते. खासतौर से तब, जब यह किसी ऐसे देश में हो, जहां हमारे लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. हमारे यूके के साथ मजबूत संबंध हैं. आवश्यकता पड़ने पर हम पूरी स्पष्टवादिता से मुद्दे को उठायेंगे.
मालूम हो कि ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष पद के लिए हुए मतदान में रश्मि सामंत को कुल 3708 मतों में से 1966 मत मिले थे. चुनाव जीतने के बाद साल 2017 में सोशल मीडिया में किये गये पोस्ट को ‘नस्लभेदी’, ‘साम्य विरोधी’ और ‘ट्रांसफोबिक’ बताया गया.
इस पोस्ट में साल 2017 में जर्मनी में बर्लिन होलोकास्ट मेमोरियल की यात्रा के दौरान उन्होंने नरसंहार से जुड़ी टिप्पणी की थी. वहीं, मलयेशिया की यात्रा के दौरान तस्वीर को चिंग चांग शीर्षक देने से विवाद हो गया था. इससे चीन के छात्र नाराज हो गये थे.
मालूम हो कि ब्रिटेन की संसद में भारत में हो रहे किसान आंदोलन को लेकर चर्चा हुई थी. हालांकि, कंजर्वेटिव पार्टी की नेता थेरेसा विलियर्स ने किसानों के प्रदर्शन को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए कहा था कि विदेश संसद में चर्चा नहीं की जा सकती है. वहीं, लेबर पार्टी के नेता तनमनजीत सिंह ने 36 सांसदों का नेतृत्व करते हुए किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए भारत सरकार को पत्र लिख कर दबाव बनाने की बात कही थी.