Jharkhand News, Ranchi News रांची : राजधानी में बस और ऑटो स्टैंड के ठेके में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी की जा रही है. इसका खुलासा ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग ने खादगढ़ा बस स्टैंड और किशोरी यादव चौक ऑटो स्टैंड को लेकर तैयार रिपोर्ट में किया है. ट्रैफिक एसपी ने यह रिपोर्ट परिवहन आयुक्त, नगर आयुक्त व एसएसपी को भेजी है.
साथ ही खादगढ़ा बस स्टैंड के ठेकेदार के खिलाफ धारा 409, 109, 112, 120 और सह पठित धारा 29, 31, 32, 35, 46 व 49 राष्ट्रीय उच्च पथ नियंत्रण अधिनियम और धारा 12 नियम की अवज्ञा अधिनियम 1971 व धारा 73,74,124 के तहत मुकदमा दायर करने का सुझाव िदया है.
ट्रैफिक एसपी ने रिपोर्ट में लिखा है कि हरिओम गौतम बनाम जिला दंडाधिकारी मथुरा मामले में सुप्रीम कोर्ट में बस स्टैंड को परिभाषित किया गया है. धारा 117 संशोधित मोटरयान अधिनियम-2019 के तहत राज्य सरकार या कोई प्राधिकार, जो इसके लिए अधिकृत है, उनकी ओर से वैसे स्थल को निर्धारित किया जा सकता है, जहां कोई मोटर वाहन चालक निर्देशित समय-सारणी के अनुसार वाहन खड़ा कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने निगम परिषद अथवा जिला दंडाधिकारी को बस पड़ाव को अनुसूचित करने के लिए अधिकृत नहीं माना है. इसके लिए राज्य सरकार या प्राधिकृत प्राधिकरण स्थानीय निकाय या संस्था के साथ विचार-विमर्श के बाद यह फैसला ले सकती है. धारा 301 झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 में बस पड़ाव चिह्नित करने का अधिकार निगम को प्राप्त है, लेकिन बस स्टैंड निर्धारण का नहीं. ऐसी स्थिति में खादगढ़ा बस स्टैंड को ठेकेदार को देना न्यायालय के फैसले के खिलाफ माना जा सकता है.
Posted By : Sameer Oraon