महानगरों में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए शहर में वैक्सीनेशन की रफ्तार तेजी से बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. स्वास्थ्य कर्मी, फ्रंट लाइन वर्कर समेत बुजुर्ग व बीमार लोगों को वैक्सीन लगाने का सिलसिला जारी है. इसी क्रम में अब को-वैक्सीन का टीका लगवाने से पहले फॉर्म (सहमति पत्र) भरे जाने की बंदिश से लोगों को मुक्ति दे दी गयी है.
सहमति पत्र में ट्रायल से संबंधित जानकारी भरी जाती थी. अधिकारियों के अनुसार ट्रायल बेसिस पर यह व्यवस्था लागू की गयी थी. वैक्सीनेशन सेंटर के अधिकारियों के मुताबिक को-वैक्सीन टीका का सफल ट्रायल पूरा होने के बाद पिछले महीने कंपनी की ओर से इसे कोरोना के मरीजों की इमरजेंसी में इस्तेमाल के लिए ड्रग रेगुलेटर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी को भेज कर मंजूरी मांगी गयी थी.
पटना सहित पूरे बिहार में स्वास्थ्य कर्मचारी व आम लोग को-वैक्सीन के बदले कोविशील्ड वैक्सीन अधिक लगाना पसंद कर रहे हैं. जानकारों की मानें तो को-वैक्सीन के आखिरी ट्रायल का डाटा नहीं होने के कारण बिहार सहित अन्य राज्यों के कुछ स्वास्थ्य कर्मियों ने वैक्सीन लेने से इन्कार कर दिया था. कंपनी की ओर से भी पिछले 20 फरवरी तक टीके को 60 प्रतिशत तक असरदार बताने की बात कही गयी थी. लेकिन अंतिम ट्रायल में कंपनी ने इसे पूरी तरह से बेहतर करार दिया है.
सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी ने बताया कि कोरोना वैक्सीनेशन अभियान के दो चरण पूरे होने के बाद तीसरे चरण में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों का टीकाकरण हो रहा है. पहले दो चरणों के दौरान को-वैक्सीन लगाने से पहले सहमति फॉर्म भरा जाता था. दो चरण तक वैक्सीन का ट्रायल चल रहा था, लेकिन अब ट्रायल सफलता पूर्वक पूरा हो चुका है. ऐसे में अब आम लोगों को फॉर्म भरने से राहत मिलेगी.