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महाशिवरात्रि पर अक्षत, हल्दी समेत ये 6 चीजें न करें अर्पित
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जानें भगवान शिव को प्रसन्न करने की विधि
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शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
Mahashivratri 2021, Date, Time, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Timing, Samagri List, Remedies, What To Do, Shivling Importance: महादेव का सबसे बड़ा व्रत महाशिवरात्रि 2021 (Mahashivratri 2021 Date), 11 मार्च को पड़ने वाला है. हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह व्रत (Mahashivratri Vrat Kaise Kare) मनाने की परंपरा होती है. हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा (Mahashivratri 2021 Puja Vidhi) करने भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं. उन्हें प्रश्न करने के लिए भक्त (Mahashivratri Puja Samagri list) भांग, धतूरा दूध बेलपत्र आदि पूजा सामग्री चढ़ाते हैं. हालांकि, इस दौरान कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए (Mahashivratri Remedies). शिव पुराण के अनुसार गलती से भी शिवलिंग पर हल्दी, कुमकुम, टूटे बेलपत्र, अक्षत समेत 6 चीजों को नहीं अर्पित करना चाहिए. इससे भगवान शिव नाराज हो सकते हैं. आइए जानते हैं विस्तार से महा शिवरात्रि पर क्या करना चाहिए (Mahashivratri 2021 What To Do) क्या नहीं…
हल्दी का प्रयोग सदियों से होता आ रहा है. इसे आयुर्वेद दवा के साथ-साथ सभी मांगलिक कार्य में इस्तेमाल में लाया जाता है. लेकिन, महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर भगवान को हल्दी चढ़ाना सही नहीं माना गया है.
भगवान शिव को बैरागी कहा जाता है. जबकि, कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक होता है. ऐसे में शिवलिंग पर कभी भी भूल कर भी कुमकुम अर्पित नहीं करनी चाहिए.
अक्षत का प्रयोग लगभग हर पूजा-पाठ में किया जाता है और सभी पूजा में अक्षत साबुत चढ़ाने का नियम होता है. टूटे हुए अक्षत को अशुभ माना गया है. अतः शिवलिंग पर भी इसे चढ़ाने की भूल ना करें. ऐसा करने से आपके भाग्य आपका साथ नहीं देंगे.
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तुलसी की पूजा की जाती है. लेकिन, शिव व्रत में इसे बेहद शुभ माना गया है. दरअसल, इसके पीछे एक कहानी है. शिव पुराण के अनुसार, जालंधर नामक एक असूर एक बार भगवान शिव के हाथों मारा गया. उसे एक वरदान प्राप्त था, उसकी पत्नी अर्थात तुलसी की पवित्रता की वजह से उसे कोई पराजित नहीं कर पाता. यही कारण है कि भगवान विष्णु ने जालंधर की पत्नी की पवित्रता को भंग किया. फिर भगवान शिव ने उस असूर का वध किया. जिससे नाराज तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार किया. यही कारण है कि शिवलिंग पर से तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है.
शिवलिंग पर केतकी का फूल कभी नहीं चढ़ाना चाहिए. पौराणिक कथाओं की मानें तो ब्रह्मा जी और विष्णु जी में एक बार श्रेष्ठता को लेकर चर्चा हुई. इस पर वाद-विवाद छिड़ा, तब वहां एक विशालकाय लिंग प्राप्त प्रकट हुआ. फिर दोनों देवताओं ने आपस में समझौता किया और कहा कि जो इसका छोर पता लगाएगा वही श्रेष्ठ माना जाएगा. ब्रह्मा जी ने कुछ दिनों पश्चात कहा कि उन्हें लिंग का छोर मालूम चल गया है और इसका साक्षी केतकी के फूल को बताया. जिस पर क्रोधित होकर शिवजी वहां प्रकट हुए और केतकी के फूल को श्राप दिया और कहा कि कभी भी शिव पूजा में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
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भगवान शिव को कभी भी टूटे हुए बेल पत्र या फिर दो मुंह वाले बेलपत्र नहीं चढ़ाएं. हमेशा उन्हें पांच या तीन मुख वाले बेलपत्र अर्पित करें.
निशिथकाल: गुरुवार (11 मार्च) की रात्रि 12:12 से 01:01 बजे रात्रि तक.
प्रथम प्रहर: गुरुवार संध्या 06:29 से 09:32 बजे रात्रि तक.
द्वितीय प्रहर: रात्रि 09:33 से 12:36 बजे तक
तृतीय प्रहर: रात्रि 12:37 से 03:39 बजे तक
चतुर्थ प्रहर: गुरुवार मध्यरात्रि के उपरांत 12 मार्च की प्रात: 03: 41 से 06: 43 बजे तक.
शिवरात्रि पारण समय: शुक्रवार, 12 मार्च को प्रात: 06:34 बजे के बाद.
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यदि भगवान शिव को प्रसन्न करना है तो इस दिन विधि विधान से उनका व्रत रखें, पूजा पाठ करें.
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इससे पहले सुबह उठकर स्नान जरूर करें तथा स्वच्छ कपड़े भी पहनें.
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ओम नमः शिवाय का जाप जरूर करें.
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इस दिन शिव चालीसा शिव की आरती स्रोत आदि का पाठ जरूर करें.
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सभी पूजा सामग्री पूजा को भगवान शिव पर अर्पित करें
Posted By: Sumit Kumar Verma